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Why is the end of Islam becoming increasingly viral
End of Islam: आजकल सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर है कि भविष्य पुराण में इस्लाम के अंत का उल्लेख किया गया है. कुछ लोगों का दावा है कि वेदव्यास जी ने 5000 साल पहले इस बात की भविष्यवाणी की थी कि इस्लाम एक दैत्यकुल धर्म होगा जो मानवता को नष्ट करने का प्रयास करेगा. इस भविष्यवाणी के अनुसार इस्लाम के अनुयायी अपने लिंग का छेदन करेंगे उनकी शिखा नहीं होगी वे शोर मचाएंगे और मानवता के विनाश का कारण बनेंगे. इन दावों के साथ कुछ श्लोक भी उद्धृत किए जा रहे हैं जो सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे हैं. अब ये दावा कितना सच है या कितना गलत है ये पता लगाना बेहद जरूरी है.
क्या ये दावे सही हैं?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इन श्लोकों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाना स्वाभाविक है. जब हमने स्वयं भविष्य पुराण (Bhavishya Purana) की पुस्तकें देखनी शुरू कीं, तो हमें कहीं भी ऐसा कोई श्लोक या भविष्यवाणी नहीं मिली जो इस्लाम के बारे में इस तरह की बात करती हो. यह बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है कि वेदव्यास जी द्वारा इस्लाम के अंत की कोई भविष्यवाणी नहीं की गई है.
भविष्य पुराण में मोहम्मद साहब के बारे में क्या लिखा है?
भविष्य पुराण के छोटे संस्करण में 'महमद' नामक एक व्यक्ति का उल्लेख किया गया है जो राजा भोज से मिलता है. राजा भोज ने अरब में महमद नामक व्यक्ति से मिलने के बाद शिवलिंग की पूजा की और बाद में भगवान शिव ने उन्हें सलाह दी कि यह भूमि अनार्य लोगों की है और उन्हें वहां से वापस जाना चाहिए. यह घटना केवल भविष्य पुराण के छोटे संस्करण में मिलती है लेकिन इसमें इस्लाम या मुसलमानों के अंत का कोई जिक्र नहीं है.
संस्कृत में गलतियां और गलत व्याख्याएं
सोशल मीडिया पर जो संस्कृत श्लोक वायरल हो रहे हैं, वे न केवल गलत हैं, बल्कि संस्कृत के विद्वानों द्वारा मान्य भी नहीं हैं. 'लिंग छेदी' जैसे शब्द संस्कृत में गलत रूप से इस्तेमाल किए गए हैं. संस्कृत में लिंग का अर्थ केवल शिवलिंग या लिंगवाचक चिन्ह होता है न कि वह अर्थ जो कुछ लोग इसे दे रहे हैं. इसके अलावा 'मुसल नायव संस्कार' जैसा कोई संस्कार हिंदू धर्मग्रंथो में नहीं मिलता है. भविष्य पुराण (Bhavishya Purana) में इस्लाम के अंत की कोई भविष्यवाणी नहीं की गई है. सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही जानकारी भ्रामक है और इसका कोई प्रामाणिक स्रोत नहीं है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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