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Ujjain Mahakal sawari: क्यों निकाली जाती है उज्जैन में महाकाल की सवारी, जानें इसके पीछे का इतिहास

Ujjain Mahakal sawari: उज्जैन में महाकाल की सवारी एक भव्य और धार्मिक जुलूस है जो हर महीने में दो बार निकलता है, पहली सवारी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को और दूसरी सवारी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को निकलती है.

Ujjain Mahakal sawari: उज्जैन में महाकाल की सवारी एक भव्य और धार्मिक जुलूस है जो हर महीने में दो बार निकलता है, पहली सवारी कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को और दूसरी सवारी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को निकलती है.

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Inna Khosla
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Ujjain Mahakal sawari

Ujjain Mahakal sawari( Photo Credit : social media)

Ujjain Mahakal sawari: उज्जैन महाकाल की सवारी एक भव्य जुलूस है जो भगवान महाकालेश्वर, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं, को समर्पित है. यह जुलूस हर साल श्रावण मास में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाला जाता है. उज्जैन महाकाल की सवारी का इतिहास बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण है. इस सवारी को "बाबा महाकाल की सवारी" भी कहा जाता है और यह हर बार महाशिवरात्रि के अवसर पर उज्जैन के महाकाल मंदिर में आयोजित की जाती है. यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण प्रतीक है. इस सवारी में महाकाल की मूर्ति को परम्परागत तरीके से सवारियों द्वारा निकाला जाता है. यह सवारी धारावाहिक रूप से अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक धाराओं को सम्मिलित करती है. महाकाल की सवारी का आयोजन बड़ी धूमधाम से होता है और लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. यह सवारी ध्यान और आध्यात्मिकता के माहौल में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है और लोगों को शिव की शक्ति और अनुग्रह का अनुभव कराती है.

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इतिहास: महाकाल की सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है. इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. राजा भोज (11वीं शताब्दी) ने इस परंपरा को भव्यता प्रदान की. उन्होंने इस जुलूस में कई नए कलाकारों और संगीतकारों को शामिल किया. मुगल सम्राट अकबर और जहांगीर भी इस जुलूस में शामिल हुए थे. सिंधिया वंश के राजाओं ने इस जुलूस को और अधिक भव्य बनाया. उन्होंने जुलूस में कई नए रथ और हाथी शामिल किए. 

यात्रा: महाकाल की सवारी एक भव्य यात्रा है जिसमें विभिन्न प्रकार के कलाकार, संगीतकार और नर्तक शामिल होते हैं. भगवान महाकाल को एक रथ में बैठाकर शहर में घुमाया जाता है. यह रथ चांदी से बना होता है और इसे कई फूलों से सजाया जाता है. लाखों श्रद्धालु इस जुलूस में शामिल होते हैं. वे भगवान महाकाल के जयकारे लगाते हैं और उनके दर्शन करते हैं. जुलूस में शामिल होने वाले विभिन्न कलाकारों में भंडारी, नागा साधु, ढोल-नगाड़े वाले, तलवारबाज, घुड़सवार और हाथी शामिल हैं.

महत्व: महाकाल की सवारी भगवान महाकाल के प्रति भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक है. यह जुलूस भगवान महाकाल की शक्ति और महिमा का भी प्रतीक है. महाकाल की सवारी उज्जैन शहर का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है. यह जुलूस शहर की समृद्ध संस्कृति और विरासत को दर्शाता है. 

भक्त भगवान महाकाल को उनकी पसंद के भोग अर्पित करते हैं. इन भोगों में फल, फूल, मिठाई और दूध शामिल हैं. महाकाल की सवारी के दौरान, कई भक्त भगवान महाकाल के जयकारे लगाते हैं और उनके नाम का जप करते हैं. कई भक्त भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन आते हैं. महाकाल की सवारी एक भव्य और पवित्र जुलूस है जो भगवान महाकाल के प्रति भक्तों की श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है. यह जुलूस उज्जैन शहर का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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