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Garud puran path after death( Photo Credit : social media)
Garud Puran: गरुड़ पुराण, हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक है. यह पुराण भगवान विष्णु के वाहन, गरुड़ के नाम पर समर्पित है. इसमें अनेक धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों का विस्तृत वर्णन है. गरुड़ पुराण में जीवन के उद्देश्य, धर्म, कर्म, मोक्ष और पुनर्जन्म जैसे विषयों पर चर्चा की गई है. इस पुराण में नरक, स्वर्ग, यमलोक और यमदूतों के विविध वर्णन भी मिलते हैं. इसके अलावा, इसमें विभिन्न तीर्थस्थलों, व्रतों और पूजा विधियों का वर्णन भी है. गरुड़ पुराण के पाठ से मनुष्य को आध्यात्मिक ज्ञान, धार्मिक उपदेश और अध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है. यह ग्रंथ धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन में मार्गदर्शन करने वाला महत्वपूर्ण स्रोत है.
मरने के बाद गरुड़ पुराण का पाठ कराने के कारणों:
1. आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए: गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद की यात्रा और आत्मा की गति के बारे में बताया गया है. माना जाता है कि गरुड़ पुराण का पाठ करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
2. मृतक को ज्ञान प्रदान करने के लिए: गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद होने वाली घटनाओं और कर्मों के फल के बारे में बताया गया है. माना जाता है कि गरुड़ पुराण का पाठ करने से मृतक को मृत्यु के बाद होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त होती है और वह अपने कर्मों के फल को समझ पाता है.
3. परिजनों को सांत्वना प्रदान करने के लिए: मृत्यु के बाद परिजन दुखी होते हैं. गरुड़ पुराण का पाठ करने से उन्हें मृत्यु के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है और उन्हें सांत्वना मिलती है.
4. मृत्यु के भय को दूर करने के लिए: गरुड़ पुराण में मृत्यु के बारे में बताया गया है. माना जाता है कि गरुड़ पुराण का पाठ करने से मृत्यु के भय को दूर किया जा सकता है.
5. सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए: गरुड़ पुराण एक पवित्र ग्रंथ है. माना जाता है कि गरुड़ पुराण का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
गरुड़ पुराण का पाठ कब और कैसे किया जाता है ये भी जान लें. गरुड़ पुराण का पाठ मृत्यु के बाद 13 दिनों तक किया जाता है. इसे किसी विद्वान द्वारा किया जाता है. गरुड़ पुराण का पाठ घर में या किसी मंदिर में किया जा सकता है. मरने पर गरुड़ पुराण का पाठ मृतक की आत्मा को शांति प्रदान करने, मृतक को ज्ञान प्रदान करने, परिजनों को सांत्वना प्रदान करने, मृत्यु के भय को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए किया जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau