ISKCON Controversy: विवादों में क्यों फंसता जा रहा है इस्कॉन? सिलसिलेवार जानें वजह

ISKCON Controversy: मंदिरों को लेकर अक्सर विवाद होते रहते हैं. इस्कॉन मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी है, देश विदेश में इसके हजारों मंदिर है. लेकिन हाल ही में बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर में जो हुआ उसने दुनिया का ध्यान उस पर आकर्षित किया है.

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Inna Khosla
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ISKCON Controversy

ISKCON Controversy Photograph: (News Nation)

ISKCON Controversy: इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस), जिसे "हरे कृष्ण आंदोलन" भी कहा जाता है, ने पिछले कुछ दशकों में विश्वभर में भक्ति आंदोलन को बढ़ावा दिया है. हालाँकि, यह संस्था कभी-कभी विभिन्न विवादों में फंसती रहती है. इसके पीछे कुछ ऐतिहासिक, सामाजिक, और संगठनात्मक कारण हो सकते हैं. आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

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अध्यक्षता और शक्ति संघर्ष

इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद के निधन (1977) के बाद संगठन में नेतृत्व को लेकर असहमति और संघर्ष शुरू हो गया. कुछ वरिष्ठ गुरुओं पर नैतिक और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे जिससे संगठन की छवि को नुकसान पहुंचा. कुछ लोगों ने इस्कॉन की परंपरा पर सवाल उठाया है, जैसे कि क्या श्रील प्रभुपाद के बाद किसी अन्य गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया जा सकता है.

वित्तीय अनियमितताएं

इस्कॉन को दुनियाभर से बड़ी मात्रा में दान मिलता है और इसे पारदर्शिता की कमी के आरोपों का सामना करना पड़ा है. भारत और अन्य देशों में इस्कॉन की संपत्तियों को लेकर आंतरिक और बाहरी विवाद होते रहते हैं कई बार कानूनी विवादों में भी फंसा है. कुछ आलोचकों का कहना है कि इस्कॉन का ध्यान धार्मिक उद्देश्यों से हटकर व्यावसायिक लाभ की ओर बढ़ गया है.

नैतिकता और आचरण से जुड़े विवाद

1990 के दशक में इस्कॉन के कुछ गुरुकुलों में बच्चों के यौन शोषण के मामले सामने आए. यह विवाद आज भी संगठन की छवि पर धब्बा बना हुआ है. कुछ इस्कॉन नेताओं और सदस्यों पर नैतिक आचरण से जुड़े नियमों का पालन न करने के आरोप भी लग चुके हैं.

धार्मिक आलोचना और कट्टरता के आरोप

इस्कॉन के कट्टर समर्थकों पर यह आरोप है कि वे अन्य धार्मिक मान्यताओं को कमतर दिखाने का प्रयास करते हैं. हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों से भटकने का आरोप भी है, कुछ परंपरागत हिंदू धर्म के अनुयायी इस्कॉन पर यह आरोप लगाते हैं कि ये मंदिर वैष्णव धर्म के सिद्धांतों का एक पाश्चात्य संस्करण प्रस्तुत करता है. अन्य वैष्णव संप्रदाय, जैसे श्री वैष्णव और गौड़ीय मठ, इस्कॉन की शिक्षाओं और प्रथाओं पर सवाल उठाते रहे हैं.

इस्कॉन मांसाहार के खिलाफ अभियान चलाता है, जिसे कुछ लोग सांस्कृतिक हस्तक्षेप मानते हैं. कुछ हिंदू संगठनों ने इस्कॉन पर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है, हालांकि इस्कॉन इसे खारिज करता है. आलोचकों का मानना है कि इस्कॉन ने भारतीय धर्म और संस्कृति को पश्चिमी दृष्टिकोण से पेश किया है जो इसकी परंपरागत जड़ों से मेल नहीं खाता.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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