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मंदिर में पूजा करने से पहले क्‍यों बजाते हैं घंटा, क्‍या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व

जब भी हम मंदिर (Temple) जाते हैं, प्रवेश करने से पहले घंटी जरूर बजाते (Ringing Bell) हैं. यह हमारी परंपरा है और सदियों से हम इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.

Updated on: 10 Feb 2021, 12:55 PM

नई दिल्ली:

जब भी हम मंदिर (Temple) जाते हैं, प्रवेश करने से पहले घंटी जरूर बजाते (Ringing Bell) हैं. यह हमारी परंपरा है और सदियों से हम इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं. परंपरानुसार, हम सभी इसका पालन करते हैं लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि हम मंदिर में घंटी क्‍यों बजाते हैं. क्‍या आपने कभी इस पर गौर किया है. इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व जानने से पहले यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि मंदिर में घंटी लगाई ही क्‍यों जाती है? घंटियां कितने प्रकार की होती हैं. आज हम आपको घंटी बजाने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्‍व के बारे में जानकारी देंगे. ज्योतिष शास्त्र कहता है कि मंदिरों में घंटियां लगाने का न केवल धार्मिक, बल्‍कि वैज्ञानिक महत्‍व भी है. घंटी की तेज आवाज से वातावरण में कंपन होती है और इससे हवा में मौजूद जीवाणु और विषाणु का नाश हो जाता है और माहौल शुद्ध हो जाता है. जहां भी घंटी की नियमित ध्‍वनि आती है, वह स्‍थान भी शुद्ध और पवित्र हो जाता है और नकारात्‍मक शक्‍तियों का वहां प्रवेश नहीं हो पाता.

घंटी बजाने का धार्मिक महत्‍व : ज्योतिष शास्त्र कहता है कि घंटी बजाकर आप देवी-देवता के सामने अपनी हाजिरी लगाते हैं. इसके अलावा घंटी बजाने से मंदिर में मौजूद मूर्तियों में चेतना आ जाती है और पूजा प्रभावशाली होती है. घंटी की आवाज सुनते ही मन में आध्‍यात्‍मिक भाव पैदा हो जाता है. पुराणों में कहा गया है कि सृष्टि की रचना के समय जो नाद गूंजी थी, घंटी उसी का प्रतीक है. आज भी जब घर में नया काम होने या फिर किसी का जन्‍म होने पर कई जगहों पर लोग घंटी बजाकर खुशी जताते हैं. 

चार प्रकार की होती हैं घंटियां

  • द्वार घंटी : मंदिर के द्वार पर यह घंटियां लगाई जाती हैं. ये छोटे और बड़े भी हो सकते हैं. घर के मंदिर में भी इन्‍हें लगाया जा सकता है.
  • हाथ घंटी : पीतल की गोल प्‍लेट को लकड़ी की डंडी से पीटा जाता है और इसमें से जो ध्‍वनि निकलती है, वह घंटी की ध्‍वनि जितनी ही तेज होती है.
  • गरूड़ घंटी : आकार में छोटी यह घंटियां ज्यादातर घर के मंदिरों में इस्‍तेमाल की जाती हैं. इसे हाथ से पकड़कर बजाया जाता है.
  • घंटा : यह घंटी का बड़ा स्‍वरूप होता है. इसकी आवाज कई किलोमीटर तक सुनाई दे जाती है. मंदिर के द्वार पर इस घंटी को लगाई जाती है. 

घंटी की आवाज से होता है स्वास्थ्य लाभ : कैडमियम, जिंक, निकेल, क्रोमियम और मैग्नीशियम से बनी घंटी बजाने पर जो ध्‍वनि निकलती है, वो मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्से को संतुलित करती है. ज्योतिष शास्त्र कहता है कि शरीर के सभी 7 हीलिंग सेंटर को घंटी की गूंज सक्रिय कर देती है. मन, मस्तिष्क और शरीर को घंटी की ध्वनि अलग तरह की सकारात्‍मक ऊर्जा से लबरेज कर देती है.