Konark Chakra in G20: भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता के प्रतीक कोणार्क चक्र को जी 20 शिखर सम्मेलन में विशेष स्थान मिला है. अगर आप गौर करें तो भारत के तिरंगे में भी कोणार्क चक्र बना है. प्रगति मैदान में सजे भारत मंडपम में जी 20 में शिखर सम्मेलन (G 20 Summit) चल रहा है. आज सुबह सभी राष्ट्राध्यत्रों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्मजोशी से स्वागत किया. नरेंद्र मोदी जहां खड़े होकर सभी राष्ट्राध्यक्षों से एक-एक करके मिल रहे हैं उसके पीछे कोणार्क चक्र बना हुआ है. कोणार्क चक्र भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और यह इसके सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है.
इसे 'कालचक्र' के रूप में भी देखा जा सकता है. इस चक्र का घूमना 'कालचक्र' के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. ये इस बात का प्रतीक भी है कि समय सदा एक सा नहीं रहता. परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है. कोणार्क चक्र का निर्माण भगवान सूर्य की पूजा और भक्ति के लिए हुआ था. कहते हैं पहिए पर पड़ रही सूर्य की रोशनी को देखकर समय बताया जाता था.
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दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मंडपम सजाया गया है यहां आए सभी मेहमानों की भारतीय संस्कृति से पहचान करवायी जा रही है. भारत के इतिहास की जानकारी इसी तरह से विदेशी मेहमानों को देने की मोदी की इस पहल की लोग तारीफ कर रहे हैं. ये विशाल चक्र 9 फीट 9 इंच ऊंचा है. इसमें 8 बड़ी तीलियां और 8 पतली तीलिया हैं. 13 वीं शताब्दी के कोणार्क चक्र को जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल करने के पीछे कारण बहुत बड़ा है. दरअसल प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि भारत के समृद्ध इतिहास से दुनिया रुबरु हो. 8 तीलियां दिन के 8 प्रहर के बारे में बताती हैं. माना जाता है कि इसका उपयोग कर सूर्य की स्थिति के आधार पर समय की गणना की जाती है.
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Source : News Nation Bureau