Why African Women Brought In Mughal Harem: मुगल हरम क्यों मंगाते थे अफ्रीकी महिलाएं? किन्नर भी होती थी शामिल

Why African Women Brought In Mughal Harem: क्या आप जानते हैं मुगलों के हरम में कई महिलाएं ऐसी होती थीं जिन्हें अलग-अलग देशों से लाया जाता है? आइए आज आपको बताते हैं हरम से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.

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Sushma Pandey
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Why African Women Brought In Mughal Harem

Why African Women Brought In Mughal Harem: मुगलों के हरम की कहानियां सदियों से रहस्य और आकर्षण का विषय रही हैं.यह मुगलों की पत्नियों और महिला रिश्तेदारों के लिऐ बना था. यही वह स्थान होता था जहां पर बादशाह की बेगमे और दासियां रहा करती थीं.  हरम की शुरुआत तो बाबर के दौर से हुई थी लेकिन इनमें से सबसे प्रमुख अकबर का हरम था, जिसे अपने समय में सबसे बड़ा और सुरक्षित कहा जाता था. यूं तो मुगलों के हरम की शुरुआत बाबर के समय से ही हो गई थी, लेकिन इसे असली विस्तार अकबर के समय में मिला. 

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अकबरनामा लिखने वाले अबु फजल के मुताबिक, अकबर के हरम में 5000 से अधिक महिलाएं थीं, जिनमें से कई अलग-अलग देशों से लाई गईं दासियां थीं. जैसे अफ्रीका, कजाकिस्तान, ईरान आदि. ये महिलाएं हरम की सुरक्षा, सेवा और मनोरंजन के लिए रखी जाती थीं. हरम में मुगल बादशाह और उनके शहजादों के अलावा किसी भी पुरुष को प्रवेश की अनुमति नहीं थी. इसके अलावा विदेश यात्री मनूची और फ्रांसीसी चिकित्सक फ्रांस्वा बर्नियर को ही प्रवेश की अनुमति मिलती था. इन्होंने मुगलों के हरम के कई राज भी खोले थे. 

हरम की सुरक्षा व्यवस्था 

सबसे खास बात यह है कि हरम की देखरेख के लिए महिलाओं को रखा जाता था. यहीं महिलाएं हरम की सुरक्षा व्यवस्था तय करती थीं. भारी-भरकम और ताकतवर महिलाएं, जो धनुष और भाले से लैस होती थीं, हरम की सुरक्षा के लिए तैनात रहती थीं.  ये महिलाएं विशेष रूप से उज्बेकिस्तान के उस क्षेत्र से लाई जाती थीं, जहां की महिलाएं सैन्य प्रशिक्षण (Military Training) में माहिर होती थीं. कहा जाता था कि इन महिलाओं के वार से बचना मुश्किल होता था. 

हरम में किन्नर भी होते थे

दूसरी परत में किन्नर होते थे, जिनका काम हरम के अंदर की व्यवस्थाओं को बनाए रखना और षड्यंत्रों पर नजर रखना होता था. इन किन्नरों की पहचान अफ्रीकी और एशियाई नस्ल से थी.  इन्हें या तो बचपन में घर से निकाल दिया गया था या फिर अन्य देशों के राजाओं द्वारा तोहफे में मुगलों को दिया गया था. तीसरी और अंतिम परत में मजबूत कद काठी वाले सिपाही होते थे, जो हरम के बाहर तैनात रहते थे. इन्हें किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को देखते ही गोली मारने का आदेश होता था. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

 

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