Shabri Mata: कौन थीं शबरी माता? जानें माता से जुड़ी 5 रोचक जानकारी

Shabri: शबरी ने हमें भक्ति, प्रेम, और त्याग की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी हैं. उनका आश्रम छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में स्थित है और उनकी जयंती को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है.

Shabri: शबरी ने हमें भक्ति, प्रेम, और त्याग की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी हैं. उनका आश्रम छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में स्थित है और उनकी जयंती को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है.

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Prashant Jha
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shabri mata( Photo Credit : News Nation)

Shabri: शबरी माता, भगवान राम के भक्ति और प्रेम में समर्पित एक महिला संत हैं. उनका जन्म भील समुदाय में हुआ था, और विद्वानों के मुताबिक वे महर्षि मतंग की शिष्या थीं. भगवान राम के 14 वर्षीय वनवास के दौरान, उन्होंने शबरी के आश्रम में भगवान का स्वागत किया और उन्हें जूठे बेर से पूजा की. इससे शबरी ने हमें भक्ति, प्रेम, और त्याग की महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी हैं. उनका आश्रम छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में स्थित है और उनकी जयंती को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाया जाता है. शबरी माता की कथा हमें आज भी उनकी भक्ति और त्याग की भावना से प्रेरित करती है.

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शबरी का जन्म: शबरी का जन्म भील समुदाय में हुआ था. उनका जन्म नाम श्रमणा था. कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि वे महर्षि मतंग की शिष्या थीं.

भगवान राम से मिलन: जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काट रहे थे, तब वे शबरी के आश्रम में गए. शबरी ने उन्हें बहुत प्रेम और भक्ति से जूठे बेर खिलाए. भगवान राम ने उनका प्रेम स्वीकार किया और उन्हें आशीर्वाद दिया.

भक्ति का महत्व: शबरी की कहानी हमें सिखाती है कि भक्ति में जाति, पंथ, या सामाजिक स्थिति का कोई महत्व नहीं होता है. भगवान राम ने शबरी की भक्ति को स्वीकार किया, जो एक साधारण भील महिला थी.

शिक्षाएं: शबरी ने हमें प्रेम, भक्ति, निष्ठा, और त्याग की शिक्षा दी. उन्होंने हमें सिखाया कि भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ जीवन जीना चाहिए.

शबरी का प्रभाव: शबरी की कहानी सदियों से लोगों को प्रेरित करती रही है. उनकी भक्ति और त्याग की भावना आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

उदाहरण:

शबरी के जीवन का एक प्रसिद्ध प्रसंग है जब उन्होंने भगवान राम के लिए जूठे बेर चखे. यह प्रसंग हमें सिखाता है कि भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ जीवन जीना चाहिए.
शबरी ने भगवान राम के आगमन की प्रतीक्षा में कई वर्षों तक तपस्या की. यह प्रसंग हमें सिखाता है कि धैर्य और निष्ठा से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है.
अतिरिक्त रोचक जानकारी:

शबरी का आश्रम छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में स्थित है.

  • शबरी माता की जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है.
  • यह जानकारी आपको शबरी माता के बारे में अधिक जानने में मददगार होगी.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

Source : News Nation Bureau

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