Vastu Purush: कौन हैं वास्तु पुरुष, जानें हिंदू धर्म में क्यो होती है इनकी पूजा

Vastu Purush: हिंदू धर्म के लोग वास्तु के बारे में तो जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु पुरुष कौन हैं और उनका जन्म कैसे हुआ.

Vastu Purush: हिंदू धर्म के लोग वास्तु के बारे में तो जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु पुरुष कौन हैं और उनका जन्म कैसे हुआ.

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Inna Khosla
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Vastu Purush

Vastu Purush( Photo Credit : social media)

Vastu Purush: वास्तु पुरुष एक प्राचीन हिंदू धर्म की पौराणिक कथा है, जो वास्तुशास्त्र के महत्वपूर्ण तत्वों को समझाने के लिए प्रयुक्त होती है. यह कथा श्रीमद्भागवत महापुराण में है. जन्म कथा के अनुसार, वास्तु पुरुष एक ब्रह्मांडीय पुरुष था जिसके सिर पर भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि के लिए स्वयं को उत्पन्न किया था. उसका शरीर ब्रह्मांड के तथ्यों और वास्तुशास्त्र के मूल सिद्धांतों के अनुसार बना था. वास्तु पुरुष का शरीर नौ खंडों में बांटा गया था, जिन्हें देवताओं और नक्षत्रों के नियमानुसार अलग-अलग गुणों और शक्तियों से युक्त किया गया था. इसके अलावा, उसके अंगों का प्रत्येक भाग और उसके संघटक तत्वों का वास्तुशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान था. वास्तु पुरुष की उपस्थिति शारीरिक और आध्यात्मिक अनुभव को संदर्भित करती है, और वास्तुशास्त्र में उसका महत्वपूर्ण स्थान है. इसके अध्ययन से मनुष्य अपने घर और अन्य निर्माण कार्यों को समृद्धि, सुख, और शांति के लिए स्थिर और समर्पित बना सकता है. 

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वास्तु पुरुष की अन्य जन्म कथा के अनुसार, यह एक विशालकाय पुरुष देवता के रूप में दर्शाया जाता है जो पृथ्वी पर लेटा हुआ है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी भवन या घर का निर्माण करते समय वास्तु पुरुष का ध्यान रखना आवश्यक है. वास्तु पुरुष की जन्म कथा मत्स्य पुराण में मिलती है. कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अंधकासुर नामक राक्षस का वध किया था. युद्ध के दौरान भगवान शिव बहुत थक गए थे और उनके शरीर से पसीना बहने लगा. पसीने की बूंदों से एक विशालकाय पुरुष का जन्म हुआ. यह पुरुष क्रोधित था और उसने भगवान शिव पर हमला कर दिया. भगवान शिव ने उस पुरुष को शांत किया और उसे वरदान दिया कि वह पृथ्वी पर लेट जाएगा और सभी भवनों और घरों का आधार बनेगा. भगवान शिव ने उसे वास्तु पुरुष नाम दिया. 

वास्तु पुरुष के शरीर के इन अंगों को भवनों और घरों के इन भागों से जोड़ा जाता है

सिर: भवन का शिखर
पेट: भवन का मध्य भाग
पैर: भवन की नींव
हाथ: भवन की दीवारें

वास्तु शास्त्र के अनुसार, भवनों और घरों का निर्माण करते समय वास्तु पुरुष के शरीर के हर अंगों का ध्यान रखना आवश्यक है. अगर भवनों का निर्माण वास्तु के अनुसार किया जाता है, तो वे निवासियों के लिए सुख और समृद्धि लाते हैं. वास्तु पुरुष का शरीर 32 भागों में विभाजित है. शरीर के प्रत्येक भाग को एक देवता से जोड़ा जाता है. वास्तु पुरुष के शरीर के विभिन्न अंगों को भवनों और घरों के विभिन्न भागों से जोड़ा जाता है. भवनों और घरों का निर्माण करते समय वास्तु पुरुष के शरीर के विभिन्न अंगों का ध्यान रखना आवश्यक है. यह माना जाता है कि वास्तु पुरुष की पूजा करने से भवनों और घरों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. वास्तु पुरुष की पूजा करने के लिए कई मंत्र और स्तोत्र हैं.

वास्तु पुरुष की पूजा करने के लाभ: भवनों और घरों में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. निवासियों के लिए सुख और समृद्धि लाता है. नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करता है. रिश्तों में सुधार करता है. व्यावसायिक सफलता लाता है. 

वास्तु पुरुष की पूजा कैसे करें: वास्तु पुरुष की पूजा करने के लिए, आपको एक मंडप बनाना होगा. मंडप में वास्तु पुरुष की प्रतिमा स्थापित करें. दीप प्रज्वलित करें और फूल अर्पित करें. वास्तु पुरुष मंत्र या स्तोत्र का जाप करें. भगवान शिव और देवी पार्वती की भी पूजा करें. 

वास्तु पुरुष मंत्र:

ॐ नमो वास्तुपुरुषाय नमः

ॐ वासुदेवाय नमः

ॐ नारायणाय नमः

ॐ शिवाय नमः

ॐ पार्वत्यै नमः

वास्तु पुरुष स्तोत्र: वास्तु पुरुष स्तोत्र भगवान शिव द्वारा रचित एक स्तोत्र है. यह स्तोत्र वास्तु पुरुष की स्तुति में लिखा गया है. इस स्तोत्र का जाप करने से वास्तु पुरुष की कृपा प्राप्त होती है. वास्तु पुरुष की पूजा करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें भी हैं वास्तु पुरुष की पूजा शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में करें.  पूजा करते समय मन में एकाग्रता और भक्ति भावना होनी चाहिए. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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