Goddess Daridra : देवी दरिद्र कौन हैं, जानें दरिद्रता की पौराणिक कथा 

Goddess Daridra: देवी लक्ष्मी की पूजा तो सब करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी बहन का नाम दरिद्रता है. वैसे देवी दरिद्र को लेकर कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं लेकिन महादेव और मां पार्वती से जुड़ी ये पौराणिक कहानी बहुत कम लोग जानते हैं.

Goddess Daridra: देवी लक्ष्मी की पूजा तो सब करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी बहन का नाम दरिद्रता है. वैसे देवी दरिद्र को लेकर कई पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं लेकिन महादेव और मां पार्वती से जुड़ी ये पौराणिक कहानी बहुत कम लोग जानते हैं.

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Inna Khosla
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Who is Goddess Daridra

Who is Goddess Daridra( Photo Credit : News Nation)

Goddess Daridra :  देवी दरिद्र या दरिद्रा देवी की पूजा हिंदू धर्म में विशेष रूप से की जाती है. उन्हें धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है. दरिद्र लक्ष्मी का रूप उन घरों में स्थित माना जाता है जहां गरीबी, दरिद्रता, और दुर्भाग्य होते हैं.  दरिद्र लक्ष्मी का प्रतीक यह है कि जहाँ लक्ष्मी का सम्मान नहीं होता, वहां दरिद्रता का वास होता है. उनकी पूजा से घर की दरिद्रता दूर होती है और समृद्धि आती है. यह पूजा दरिद्रता, गरीबी, और दुर्भाग्य से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. इससे व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

दरिद्रता की पौराणिक कथा 

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एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान महादेव को दक्ष प्रजापति के द्वारा जो महायज्ञ का आयोजन किया गया था, वहां सम्मिलित नहीं किया गया था, उन्हें आमंत्रण नहीं भेजा गया था. लेकिन मां सती जो थी उनको ये प्रतीत हुआ कि शायद पिताजी भूल चुके होंगे. काम के उसमें व्यस्तता के कारण उन्होंने निमंत्रण नहीं भेजा होगा. उन्होंने सोचा कि एक पुत्री को तो आमंत्रण की क्या आवश्यकता? इस वजह से उन्होंने महादेव से ये आग्रह किया की भले पिताजी भूल गए, लेकिन हमें महायज्ञ में जाना चाहिए. महादेव ने कहा कि आमंत्रण के बिना तो नहीं जा सकते. उस समय पर महादेव ने कहा कि आपको नहीं जाना चाहिए. मां सती जिद्द पर अड़ गई थी और उन्होंने कहा कि मैं जाउंगी.

जब उन्होंने देखा कि महादेव नहीं मान रहे हैं उस समय महादेवी ने अपना रौद्र स्वरूप धारण कर लिया. कारण ये था महादेवी ये साबित करना चाहती थी कि मैं भी आदि शक्ति हूं, आप मुझे मना नहीं कर सकते. उन्होंने अपनी क्षमता अपना जो विराट अस्तित्व है उनका उन्होंने अपना विराट अस्तित्व साबित करने के लिए 10 अलग-अलग स्वरूप धारण किए. जब महादेवी ने महाविंध्या स्वरूप धारण किया उस समय पर महादेव डर कर 10 अलग अलग दिशाओं में भागने लगे. 

महादेव जिस दिशा में जाते, मां का एक स्वरूप उनके सामने प्रकट हो जाता उनको रोक देता. एक क्षण यह आया जब मां का एक स्वरूप धूमावती प्रकट हुआ. धुमावती महादेव को निगल गई. उसी क्षण में वह विधवा बन गई. अगर आप धुमावती देवी का स्वरूप देखेंगे सफेद वस्त्रों में एक रथ के ऊपर बैठी हुई हैं. ऊपर कौआ विराजमान है. बाल जो हैं वो बिखरे हुए है, जटाएं बिखरी हुई हैं, श्मशान में बैठी हुई है, जिसे शास्त्रों ने दारिद्र का नाम भी दिया, जिसे हम अलक्ष्मी भी कहते हैं. तो धुमावती को शास्त्र में दरिद्र का नाम भी दिया गया है, क्योंकि उनका स्वरूप ही वैसा है और शास्त्र के मुताबिक तो उनकी आराधना उनकी साधना घर में हो नहीं सकती.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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