Cancer in Astrology: क्या ग्रह दोष के कारण होती है कैंसर जैसी गंभीर समस्या, जानें कुंडली के दोष

Cancer in Astrology: कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी तो जीवन में खुशियां आती है और कोई ग्रह दोष लग जाए तो बीमारी, आर्थिक संकट जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण भी क्या कुंडली में दोष हो सकता है.

Cancer in Astrology: कुंडली में ग्रहों की स्थिति अच्छी तो जीवन में खुशियां आती है और कोई ग्रह दोष लग जाए तो बीमारी, आर्थिक संकट जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण भी क्या कुंडली में दोष हो सकता है.

author-image
Inna Khosla
New Update
Diwali 2021 - इन राशि वालों पर इस दिवाली बरसेगी माँ लक्ष्मी की कृपा

Cancer in Astrology

Cancer in Astrology: ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के दोष और ग्रहों की स्थिति को जीवन में आने वाले रोगों और कठिनाइयों से जोड़कर देखा जाता है. ज्योतिष में कुछ विशेष ग्रहों, भावों और नक्षत्रों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जोड़ा गया है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए सिर्फ एक ग्रह ही दोषी नहीं होता बल्कि अलग-अलग ग्रहों की अलग-अलग राशियों के साथ स्थितियों और नक्षत्रों की चाल के आधार पर ये बताया जा सकता है कि किस व्यक्ति को किस प्रकार का कैंसर होने की संभावना हो सकती है. 

कुंडली में कैंसर रोग के मुख्य कारण

Advertisment

चंद्रमा शरीर में तरल पदार्थों, मन और मानसिक स्वास्थ्य का कारक ग्रह है. यदि चंद्रमा नीच का हो (वृश्चिक राशि में), राहु-केतु से पीड़ित हो, या छठे, आठवें, या बारहवें भाव में हो, तो यह कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन सकता है.

छठा भाव रोग, कष्ट और बीमारी का भाव है. अगर छठे भाव में राहु, शनि, मंगल या केतु की अशुभ दृष्टि हो या यह ग्रह वहां स्थित हों, तो व्यक्ति को गंभीर रोगों का सामना करना पड़ सकता है.

राहु और केतु ग्रह विषाक्तता, अनिश्चित बीमारियों और कोशिकाओं के अनियंत्रित विकास का कारण बनते हैं. अगर राहु या केतु अष्टम भाव (दीर्घायु का भाव) में स्थित हों या चंद्रमा के साथ युति करें, तो यह कैंसर जैसी बीमारी की संभावना को बढ़ा देता है.

शनि और मंगल का मेल, इले पाप ग्रहों का संयोग भी कहा जाता है. शनि दीर्घकालिक बीमारियों का कारक है, जबकि मंगल रक्त और ऊर्जा का प्रतीक है. इन दोनों ग्रहों का मेल या दृष्टि शरीर में असंतुलन पैदा कर सकता है, जिससे कैंसर हो सकता है.

आठवां भाव मृत्यु, लंबी बीमारी और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भाव है. जब किसी जातक की कुंडली के आठवें भाव में राहु, केतु, शनि या मंगल हों, तो यह कैंसर जैसी बीमारी का संकेत दे सकता है.

जलीय राशि जैसे कर्क, वृश्चिक और मीन का संबंध शरीर के तरल पदार्थों और अवयवों से है. जब इन राशियों के स्वामी ग्रह पीड़ित हों, तो यह स्तन कैंसर, ब्लड कैंसर या लिवर कैंसर जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है.

कैंसर के प्रकार और ग्रह दोष

कैंसर का प्रकारग्रह दोष/योग
स्तन कैंसरचंद्रमा कमजोर, राहु-केतु का प्रभाव, कर्क राशि प्रभावित.
ब्लड कैंसर  मंगल और राहु का छठे/आठवें भाव में संयोग.
लिवर कैंसरबृहस्पति कमजोर, राहु और केतु का अशुभ प्रभाव.
गले का कैंसरबुध पीड़ित, राहु का प्रभाव.
पेट या आंत का कैंसरबृहस्पति कमजोर, छठे भाव में अशुभ ग्रह.
त्वचा कैंसरसूर्य और शनि का दोष.

Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप न्यूज़ नेशन के धर्म-कर्म सेक्शन के साथ ऐसे ही जुड़े रहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Religion News in Hindi Astrology cancer grah dosh planetary defects
Advertisment