Margashirsha Pradosh Vrat 2024: आज है मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Margashirsha Pradosh Vrat 2024: इस बार गुरुवार के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाएगा. बृहस्पतिवार को त्रयोदशी हो तो उस दिन गुरु प्रदोष व्रत रखा जाता है.

Margashirsha Pradosh Vrat 2024: इस बार गुरुवार के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाएगा. बृहस्पतिवार को त्रयोदशी हो तो उस दिन गुरु प्रदोष व्रत रखा जाता है.

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Inna Khosla
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Margashirsha Pradosh Vrat 2024

Margashirsha Pradosh Vrat 2024

Margashirsha Pradosh Vrat 2024: भगवान कृष्ण को समर्पित मार्गशीर्ष माह के की शुरुआत 16 नवंबर से हो चुकी है. इस महीने में अनेक व्रत त्योहार आ रहे हैं. हर महीने आने वाले प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि सतयुग की शुरुआत भी मार्गशीर्ष माह से ही हुई थी. साल 2024 में मार्गशीर्ष के महीने में पहले प्रदोष व्रत कब पड़ रहा है. किन शुभ योग और संयोग में ये व्रत रखा जाएगा आइए जानते हैं.

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मार्गशीर्ष माह का प्रदोष व्रत कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो अगले दिन 29 नवंबर 2024 को सुबह 9 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. प्रदोष की पूजा संध्याकाल में की जाती है. वैदिक ज्योतिष गणना के आधार पर 28 नवंबर 2024 को ही प्रदोष का व्रत रखा जाएगा.  इस दिन गुरुवार है, इसलिए ये गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा. 

प्रदोष व्रत शुभ योग 

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन सौभाग्य योग बनेगा. ये योग सूर्योदय से लेकर शाम 4 बजकर 1 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा इस दिन चित्रा नक्षत्र रहेगा जिसे हिंदू धर्म में बेहद शुभ संयोग माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस संयोग में अगर कोई जातक भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करते हैं तो इससे उसके वैवाहिक जीवन में खुशी आती है. 

प्रदोष व्रत कैसे रखते हैं ? 

गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. यह व्रत गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष काल में रखा जाता है. इस व्रत को रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर भगवान शिव को याद करते हुए व्रत का संकल्प लें.शाम को प्रदोष काल में शिवलिंग की स्थापना कर शिवलिंग को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से अभिषेक करें. इसके बाद, शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, फूल, धूप, दीप आदि चढ़ाएं. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें. अंत में भगवान शिव की आरती करने के बाद भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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