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Sarhul Festival 2024: कब मनाया जाएगा सरहुल का पर्व? जानें इस त्योहार का इतिहास और महत्व

Sarhul Festival 2024: सरहुल, जिसे "साल वृक्ष की पूजा" के रूप में भी जाना जाता है, मुख्य रूप से पूर्वी भारत में आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख प्रकृति उत्सव है आइए जानते हैं इस उत्सव के बारे में कुछ रोचक बातें.

Updated on: 09 Apr 2024, 04:34 PM

नई दिल्ली :

Sarhul Festival 2024: सरहुल" एक प्रसिद्ध लोक त्योहार है जो की झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य, भारत में मनाया जाता है. यह त्योहार छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों के बीच विशेष रूप से मनाया जाता है. सरहुल त्योहार वसंत ऋतु में मनाया जाता है और इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों की परंपरागत संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठान को मनाना है. इस त्योहार के दौरान गांव के लोग एकत्रित होते हैं, और धार्मिक रीति-रिवाज़ के साथ नृत्य, संगीत, और खास भोजन का आनंद लेते हैं. इसमें अन्य विभिन्न कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है. सरहुल त्योहार आदिवासी समुदायों के लिए उत्साह, समरसता, और सामाजिक एकता का प्रतीक है. यह उत्सव इन लोगों के जीवन में खुशियों और सामूहिक अनुभवों को बढ़ावा देता है.

2024 में सरहुल का त्योहार 11 अप्रैल को मनाया जाएगा. सरहुल, झारखंड राज्य में आदिवासी समुदायों द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार है. इसे स्थानीय सरना धर्म के नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है. यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने में, अमावस्या के तीन दिन बाद आता है.

सरहुल का महत्व 

सरहुल का त्योहार आदिवासी समुदायों के लिए कई तरह से महत्वपूर्ण है यह आदिवासी समुदायों के लिए नए साल की शुरुआत का प्रतीक है. लोग नए कपड़े पहनते हैं, अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. "सरहुल" शब्द का संबंध "सरना" से है, जिसका अर्थ है "पवित्र जंगल". इस त्योहार के दौरान, आदिवासी लोग पेड़ों की पूजा करते हैं और जंगल की रक्षा करने की प्रतिज्ञा लेते हैं. पेड़ों को नया जीवन देने के लिए, वे उन्हें सीपिया (एक लाल रंग का पाउडर) और धुआं अर्पित करते हैं. वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होने के साथ-साथ यह त्योहार आने वाली अच्छी फसल के लिए भी मनाया जाता है. आदिवासी लोग इस दौरान साल, चावल, मक्का आदि अनाजों की पहली उपज की पूजा करते हैं और भविष्य में अच्छी फसल की कामना करते हैं. आदिवासी संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. सरहुल के उत्सव में कई तरह के लोक नृत्य, जैसे सोहराय, करमा और बाहा देखने को मिलते हैं. पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों की धुन पर लोग नाचते गाते हैं. साथ ही, इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं और पारंपरिक भोजन का भोग लगाया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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