Ashtami Navami Kab Hai: चैत्र नवरात्रि 2024 में महाष्टमी और महानवमी कब है

Ashtami Navami Kab Hai: महाष्टमी और महानवमी नवरात्रि के नौ दिनों में से क्रमशः आठवें और नौवें दिन हैं. इन दोनों दिनों का विशेष महत्व है, क्योंकि इन दिनों देवी दुर्गा के दो विशिष्ट रूपों की पूजा की जाती है.आइए जानते हैं 2024 में कब है.

Ashtami Navami Kab Hai: महाष्टमी और महानवमी नवरात्रि के नौ दिनों में से क्रमशः आठवें और नौवें दिन हैं. इन दोनों दिनों का विशेष महत्व है, क्योंकि इन दिनों देवी दुर्गा के दो विशिष्ट रूपों की पूजा की जाती है.आइए जानते हैं 2024 में कब है.

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Inna Khosla
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Ashtami Navami Kab Hai

Ashtami Navami Kab Hai( Photo Credit : social media)

Ashtami Navami Kab Hai: चैत्र नवरात्रि, जिसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. यह नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है, जो नौ देवी हैं जिनमें शक्ति और साहस का प्रतिनिधित्व करती हैं. चैत्र नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास का समय है. इस साल, चैत्र नवरात्रि खरमास के दौरान आए हैं, जिसका अर्थ है कि कुछ शुभ कार्य नहीं किए जा सकते. इस दौरान लोग नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं. प्रत्येक दिन, एक अलग रंग का प्रतिनिधित्व करता है. इस साल महाष्टमी और महानवमी कब मनायी जाएगी आइए जानते हैं. 

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चैत्र नवरात्रि 2024 में

महाष्टमी कब है - 16 अप्रैल, 2024 (दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से अगले दिन 3 बजकर 14 मिनट तक)

महानवमी कब है - 17 अप्रैल, 2024 (दोपहर 3 बजकर 14 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 2 मिनट तक)

महाष्टमी का धार्मिक महत्व 

नवरात्रि के महाष्टमी का धार्मिक महत्व बहुत उच्च होता है. इस दिन का महत्व विशेष रूप से मां दुर्गा की आराधना और पूजन में होता है. मां दुर्गा के रूप माता चंद्रघंटा को इस दिन विशेष रूप से पूजा जाता है. माता चंद्रघंटा को उनके प्रभावशाली और साहसी स्वरूप के लिए जाना जाता है. इस दिन भक्त अपने मनोकामनाओं को पूरा करने की कामना करते हैं और मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस दिन को मनाकर भगवान शिव ने मां दुर्गा की कवच की धारणा की थी और उन्हें अजेय बनाया था. इसलिए, महाष्टमी को महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर के रूप में मनाया जाता है और लोग मां दुर्गा की आराधना और पूजा करते हैं.

रामनवमी का धार्मिक महत्व 

नवरात्रि का अंतिम दिन, यानी रामनवमी, हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण होता है. यह दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान राम, जो विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं, मानवता के उद्धार और धर्म की रक्षा के लिए जाने जाते हैं. उनका जन्म अयोध्या में विशेष आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है. रामनवमी के दिन भक्त भगवान राम की पूजा, भजन और कथाएं सुनते हैं. धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और भक्तों में भगवान राम के नाम की जयजयकार की गुंजाइश होती है. रामायण कथा के अनुसार, भगवान राम के जन्म दिन को उनके पिता राजा दशरथ की रानी कौशल्या के गर्भ से हुआ था. भगवान राम के जन्म दिन के उत्सव में लोग धर्मिक और सामाजिक कार्यों को समर्पित करते हैं और भगवान राम के जीवन के मूल्यों को याद करते हैं. रामनवमी धर्मिकता, आदर्शों के प्रति समर्पण और उत्साह के रूप में मनाया जाता है, और यह हिंदू समाज में एक महत्वपूर्ण और आनंदमय त्योहार है.

कन्या पूजन का सही तरीका 

कन्या पूजन नवरात्रि के दौरान एक महत्वपूर्ण परंपरा है जिसमें नौ या बारह साल की कन्याओं को आदर और पूजा की जाती है. यह पूजन विशेष रूप से महाष्टमी और नवमी के दिन किया जाता है. सबसे पहले आप पूजा स्थान तैयार करें. पूजा का स्थान साफ़ और शुद्ध होना चाहिए. एक छोटा मंच या आसन पर लाल रुमाल फैलाएं. अब कन्याओं को आमंत्रित करें. नौ या बारह साल की कन्याएं आमंत्रित की जाती हैं. उन्हें स्वयं आएं या उनके माता-पिता उन्हें ले आएं. पूजन के लिए कन्याओं को हल्दी, कुमकुम, फूल, नारियल, मिठाई, पान, और नवरात्रि के प्रसाद के रूप में मिठाई दी जाती है.

कन्याओं को आसन पर बिठाएं और उनके पांव धोएं. फिर, उनके पैरों को चौथाई चादर से ढ़ककर पूजन का आरम्भ करें. हल्दी, कुमकुम, और फूलों के आभूषण के रूप में दें. कन्याओं के शीर्ष पर आरती उतारें और उन्हें प्रसाद दें. मिठाई, पान, और नारियल उन्हें दिया जाता है. कन्याओं को आशीर्वाद दें और उनके लिए शुभकामनाएं दें. कन्या पूजन का मुख्य उद्देश्य माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना है, जिससे उनके जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त हो.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महानवमी के दिन ही भगवान राम का जन्म हुआ था, इसलिए इसे राम नवमी भी कहा जाता है. इन तिथियों और मुहूर्तों में थोड़ा बदलाव आपके स्थान के अनुसार हो सकता है. सटीक जानकारी के लिए, आप किसी स्थानीय पंचांग या ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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