Lambodar Sankashti Chaturthi: आज है लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

Lambodar Sankashti Chaturthi: भगवान गणेश को समर्पित लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है. इस व्रत की कथा और इसका धार्मिक महत्व क्या है आइए जानते हैं.

Lambodar Sankashti Chaturthi: भगवान गणेश को समर्पित लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है. इस व्रत की कथा और इसका धार्मिक महत्व क्या है आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Lambodar Sankashti Chaturthi

Lambodar Sankashti Chaturthi Photograph: (News Nation)

Lambodar Sankashti Chaturthi: लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी, जिसे सकट चौथ भी कहा जाता है. इस दिन भगवान गणेश के बारह नामों का स्मरण विशेष लाभकारी माना जाता है, सुमुख, एकदन्त, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, विकट, विघ्ननाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचन्द्र, गजानन. लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. भगवान गणेश की पूजा-अर्चना से विशेष फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति मिलती है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है. ये व्रत विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में प्रचलित है.

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कब है लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी 2025? (when is Lambodar Sankashti Chaturthi)

हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 17 जनवरी 2025 को प्रातः 4 बजकर 06 मिनट पर प्रारंभ हो रही है जो 18 जनवरी सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. 

चंद्रोदय का समय 17 जनवरी 2025 को रात्रि 9:09 बजे का है, इसलिए ये व्रत भी 17 जनवरी को ही रखा जाएगा. इस दिन भक्तजन भगवान गणेश की पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं. चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है. 

लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी की कथा 

लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सतयुग के राजा हरिश्चंद्र से संबंधित है, जो अपने सत्यनिष्ठ और धर्मपरायण स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे. उनके राज्य में अधर्म का कोई स्थान नहीं था. एक दिन, राजा हरिश्चंद्र ने स्वप्न में देखा कि उनके पूर्वज दुखी हैं और उनसे पिंडदान की अपेक्षा कर रहे हैं. नींद से जागने पर उन्होंने अपने गुरु वशिष्ठ से इस स्वप्न का अर्थ पूछा. गुरु वशिष्ठ ने बताया कि पुत्रहीन होने के कारण उनके पूर्वजों को मोक्ष नहीं मिल पा रहा है और उन्हें पुत्र प्राप्ति के लिए लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना चाहिए.

गुरु वशिष्ठ की सलाह पर राजा हरिश्चंद्र और उनकी पत्नी ने विधिपूर्वक लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा. इस व्रत के प्रभाव से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. कहा जाता है कि इससे उनके पूर्वजों को मोक्ष मिला और राज्य में सुख-शांति स्थापित हुई. इस प्रकार, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी व्रत की महिमा स्थापित हुई, जो संतान सुख और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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