Jaya Ekadashi 2024 Date: कब है जया एकादशी, जानें तिथि और पूजा की सही विधि
Jaya Ekadashi 2024: जया एकादशी, हिन्दू पंचांग के अनुसार व्रत का एक महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं.
नई दिल्ली:
Jaya Ekadashi 2024 Date: जया एकादशी, हिन्दू पंचांग के अनुसार व्रत का एक महत्वपूर्ण दिन है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं. जया एकादशी का व्रत रखने से लोगों को मानवता, धर्म, और आत्मसमर्पण की भावना विकसित होती है. यह व्रत अधिकतर भगवान विष्णु को समर्पित होता है और उससे उनकी कृपा प्राप्त होती है. इस दिन को विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-अर्चना के साथ मनाया जाता है ताकि विविध धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से विविध शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकें.
कब है जया एकादशी?
माघ शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ 19 फरवरी, दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 40 मिनट से होगा और यह तिथि 20 फरवरी, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 55 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि को देखते हुए इस बार जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी मंगलवार को रखा जाएगा.
जया एकादशी की पूजा विधि
व्रत प्रारंभ: प्रारंभ में व्रती को सूर्योदय के समय पानी पिया जाता है. इसके बाद, व्रती को एकादशी व्रत की संगति में सूर्य को प्रणाम किया जाता है.
पूजा सामग्री: पूजा के लिए धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल, तिल, चावल, धनिया, गुड़, दूध, दही, घी, शाक, इत्यादि की सामग्री की तैयारी की जाती है.
अचमन: व्रती को पूजा की शुरुआत में अचमन करना चाहिए, जिसमें उन्हें पानी पीना होता है.
पूजा का समय: पूजा का समय दोपहर के समय होता है, जब सूर्य स्थिर होता है.
व्रत कथा: पूजा के बाद, व्रती को जया एकादशी की कथा का पाठ करना चाहिए. इसके बाद, भगवान विष्णु की आराधना की जाती है.
पूजा के बाद: पूजा के बाद, प्रसाद बांटा जाता है और फिर व्रती को अन्न खिलाया जाता है.
दान: पूजा के समय दान करना भी शुभ माना जाता है. व्रती अन्न, वस्त्र, धन इत्यादि दान कर सकते हैं.
समापन: आराधना के बाद, व्रती को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और फिर व्रत को समाप्त किया जाता है.
इस प्रकार, जया एकादशी की पूजा विधि को ध्यान में रखकर श्रद्धा भाव से पूजने से व्रती को आत्मिक और धार्मिक लाभ प्राप्त होता है.
जया एकादशी की पौराणिक कथा
ब्रह्मा का पुत्र, प्रजापति का पुत्र, नाम से जया एक राक्षस था. वह अत्यंत विपरीत और दुराचारी था. वह सम्पूर्ण शास्त्रों का अनादर करता था और अपनी शक्ति का उपयोग करके ब्राह्मणों को परेशान करता था. उसका प्रधान लक्ष्य था कि वह देवताओं को अशक्त करे और स्वर्ग का अधिकार हासिल करे.
एक दिन, जया राक्षस ने स्वर्ग में देवताओं को बोहोत बड़ी मुश्किल में डाल दिया. वे अपनी अत्याचारी शक्तियों से स्वर्ग को ध्वस्त कर दिया. देवताओं ने श्री हरि के आगे शरण ली और उन्होंने उनकी सहायता के लिए समुद्र मंथन के विषय में परामर्श किया.
श्री हरि ने कहा कि देवताओं को जया एकादशी के व्रत की अनुस्मृति करनी चाहिए. यह व्रत उन्हें स्वर्ग की रक्षा के लिए शक्ति देगा और उन्हें जया राक्षस के अत्याचार से मुक्ति मिलेगी. देवताओं ने इसे माना और उन्होंने जया एकादशी का व्रत किया.
जया एकादशी का व्रत धर्म और शुद्धता का प्रतीक है. इस व्रत का पालन करने से व्रती को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और उसे दुष्ट शक्तियों से रक्षा मिलती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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