Holashtak 2024: शुरू हो चुका है होलाष्टक, जाने कब तक है और इस दौरान क्या करें या ना करें
Holashtak 2024: होलाष्टक धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. यहां भगवान शिव के पवित्र ग्रहण के अवसर पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान होते हैं,
नई दिल्ली:
Holashtak 2024: होलाष्टक एक उत्तरी भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का एक प्रमुख पर्वतीय नगर है. यह नाम भारतीय मिथोलोजी में प्रमुख देवता भगवान शिव के पवित्र ग्रहण के अवसर पर अनुष्ठान किया जाता है. होलाष्टक का अर्थ होता है "हर घटा" या "हरिताश्टक", जो इसके प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है. यह शहर अपने प्राकृतिक सौंदर्य, पर्वतीय वातावरण, और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. होलाष्टक के पास हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्वत शिखर जैसे कि "त्रिशूल" और "पंचचुला" हैं. यहां के शिखरों के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए विश्वभर से पर्यटक आते हैं.
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होलाष्टक धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. यहां भगवान शिव के पवित्र ग्रहण के अवसर पर कई धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान होते हैं, जो स्थानीय और बाहरी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. अत्यंत शांत और प्राकृतिक वातावरण, पर्वतीय दृश्य, और धार्मिक महत्व के कारण, होलाष्टक एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो भारतीय और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है. होलाष्टक, होली से पहले आने वाले 8 दिनों का एक समूह है. इस समय को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
होलाष्टक क्यों अशुभ माना जाता है?
इस समय में ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होती है. राहु और केतु ग्रहों का प्रभाव बढ़ जाता है. नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है. इस समय में किए गए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं.
होलाष्टक के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?
विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, यात्रा, नया कार्य शुरू करना आदि शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. नया घर या दुकान खरीदना नहीं चाहिए. कोई भी नया निवेश नहीं करना चाहिए. किसी भी प्रकार का झगड़ा या विवाद नहीं करना चाहिए.
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होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए?
भगवान शिव और राधा-कृष्ण की पूजा करना चाहिए. दान-पुण्य करना चाहिए. हवन करना चाहिए. नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए. सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए.
होलाष्टक कब से कब तक है?
होलाष्टक हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होता है.
2024 में, होलाष्टक 17 मार्च से 24 मार्च तक होगा. 17 मार्च को उदयातिथि में फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि होगी, जिससे होलाष्टक की शुरुआत मानी जाएगी. आठवें दिन 24 मार्च को होलिका दहन होगा और यह दिन होलाष्टक का आखिरी दिन होगा. अगले दिन 25 मार्च को होली खेलने के बाद किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकेगी.
यह केवल एक सामान्य जानकारी है. अगर आप किसी विशेष कार्य को करने के बारे में निश्चित नहीं हैं, तो आप किसी ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं. होलाष्टक के बाद, होली का त्योहार मनाया जाता है. होली एक रंगों का त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है.
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