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Dwadashi Shradh 2024
Dwadashi Shradh 2024: द्वादशी श्राद्ध, पितृ पक्ष के 12वें दिन किया जाता है. विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो अपने जीवनकाल में सन्यासी बन गए थे उनके लिए द्वादशी श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. यह माना जाता है कि द्वादशी श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है और पितरों को शांति मिलती है. पितृ देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मन की शांति के साथ आत्मिक शांति प्राप्त होती है. जिन लोगों के परिवार में कोई व्यक्ति सन्यासी हुआ हो या जिस परिवार पर पितृ दोष हो उन्हें इस दिन श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए. जो लोग अपने पितरों को शांति देना चाहते हैं वो भी ये श्राद्ध कर सकते हैं. पितृ पक्ष का समय अपने पूर्वजों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का होता है. द्वादशी तिथि को बहुत शुभ माना जाता है और इस दिन किए गए कार्य फलदायी होते हैं.
श्राद्ध अनुष्ठान समय (Dwadashi Shradh Tarpan Time)
द्वादशी तिथि सितम्बर 28, 2024 को 02:49 पी एम बजे से प्रारंभ हो रही है जो सितम्बर 29, 2024 को 04:47 पी एम बजे तक रहेगी. इस साल द्वादशी का श्राद्ध कर्म रविवार, सितम्बर 29 को ही किया जाएगा. आप तर्पण का समय भी जान लें. हिंदू धर्म में श्राद्ध कर्म कुतुप, रौहिण मुहूर्त में करना चाहिए या आप अपराह्न काल में भी कर सकते हैं.
- कुतुप मूहूर्त - 11:47 ए एम से 12:35 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट - रौहिण मूहूर्त - 12:35 पी एम से 01:23 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट - अपराह्न काल - 01:23 पी एम से 03:46 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 23 मिनट
द्वादशी श्राद्ध करने की विधि
द्वादशी तिथि का शुभ मुहूर्त निकालकर उसी समय श्राद्ध करना चाहिए. श्राद्ध विधि के बारे में किसी पंडित से सलाह लेना उचित होता है. लेकिन आप अगर घर में कर रहे हैं तो अपने पितरों की पसंद का खाना बनाएं, श्राद्ध के लिए आवश्यक सभी सामग्री तैयार करके विधिपूर्वक श्राद्ध करें. श्राद्धानंतर ब्राह्मणों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)