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Chhath Puja Nahay Khay 2023( Photo Credit : news nation)
Chhath Puja Nahay Khay 2023: लोक आस्था के महापर्व छठ चार दिनों का त्योहार है. ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा का आरंभ महाभारत काल के समय से हुआ. छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर के किनारे पानी में खड़े होकर यह पूजा की जाती है. पहले दिन को नहाय खाय के रूप में मनाते हैं. 36 घंटे के इस निर्जला व्रत के पहले दिन किन नियमों का पालन किया जाता है आइए जानते हैं. वैसे आपको बता दें कि इस बार 17 नवंबर 2023 को नहाय खाय की पूजा होगी और इसी दिन से चारों दिनों का ये महापर्व शुरु होगा.
छठ पूजा पहला दिन नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है. इस दिन व्रती खुद को शुद्ध करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं. स्नान के बाद घर की साफ-सफाई की जाती है. उसके बाद अरवा चावल, चने की दाल व कद्दू की सब्जी बना कर व्रती को खिलायी जाती है.
'नहाय-खाय' के दिन में खाने के बाद रात में आम दिनों की तरह खाना खाते हैं. छठ का त्यौहार सूर्योपासना का पर्व होता है. छठ का त्यौहार सूर्य की आराधना का पर्व है. सुबह में सूर्य की पहली किरण और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ देकर दोनों का नमन किया जाता है.
सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है. सुख-समृद्धि तथा मनोकामनाओं की पूर्ति का यह त्योहार सभी समान रूप से मनाते हैं.
यह 36 घंटे का निर्जला र्ज व्रत होता है. व्रत समाप्त होने के बाद ही व्रती अन्न और जल ग्रहण करते हैं. खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन हो जाता है. इस प्रकार भगवान सूर्य के इस पावन पर्व में शक्ति व ब्रह्मा दोनों की उपासना का फल एक साथ प्राप्त होता है.
षष्ठी के दिन घर के पास ही किसी नदी या तालाब के किनार पर इकाट्ठा होकर छठ की पूजा की जाती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau