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Kurma Dwadashi 2025 Photograph: (News Nation)
Kurma Dwadashi 2025: कूर्म द्वादशी भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कूर्म यानी कछुए को समर्पित है. हिंदू धर्म में इस दिन से जुड़ी एक कथा भी प्रचलित है. एक समय की बात है देवताओं और दानवों के बीच युद्ध छिड़ गया. देवता दानवों से हार गए और भगवान विष्णु के पास गए. भगवान विष्णु ने देवताओं को समुद्र मंथन करने की सलाह दी जिससे अमृत निकलेगा और वे अमर हो जाएंगे.समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी और वासुकि नाग को रस्सी के रूप में उपयोग किया गया. मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत समुद्र में डूबने लगा. तब भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण कर पर्वत को अपनी पीठ पर स्थिर कर लिया. इसी कारण भगवान विष्णु का ये अवतार कूर्म अवतार कहलाया. समुद्र मंथन के दौरान अनेक अद्भुत वस्तुएं निकलीं, जैसे कि कल्पवृक्ष, कामधेनु गाय, लक्ष्मी जी, चंद्रमा, और अंत में अमृत. लेकिन अमृत के साथ ही एक विष भी निकला, जिसे समुद्र ने निगल लिया था. इस विष के कारण समुद्र का रंग नीला हो गया था.
कूर्म द्वादशी पर क्या करें?
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की मूर्ति या चित्र का पूजन करें. तुलसी, अक्षत, चंदन, और फूलों से पूजा करते हुए विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो दिनभर व्रत रखें और फलाहार करें. संध्या के समय भगवान की आरती करने के बाद आप अगले दिन व्रत का पारण करें.
कूर्म द्वादशी के दिन गाय, ब्राह्मण, और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान किया जाता है. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि कूर्म द्वादशी पर दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है तो आप इस दिन तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाएं और दीप जलाकर परिक्रमा करें. स्नान में गंगाजल मिलाएं और पूजा में गंगाजल का प्रयोग करें. गंगाजल के छिड़काव से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
कूर्म द्वादशी पर क्या न करें?
क्रोध और कटु वचन से बचना चाहिए. इस दिन किसी से झगड़ा न करें और कटु वचन बोलने से बचें. तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज और मांसाहार से परहेज करना अच्छा माना जाता है. सात्विक और शुद्ध भोजन का ही सेवन करने से इस दिन आपको शांति महसूस होगी. पूजा और व्रत के दिन आलस्य से बचें. जल्दी उठें और पूरे नियमों का पालन करें. पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही न करें. भगवान विष्णु की पूजा बिना स्नान और स्वच्छ वस्त्र के न करें. असत्य बोलने और अधर्म के कामों से बचना चाहिए. इस दिन हिंसा या किसी प्राणी को कष्ट देना निषेध है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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