Vastushastra: वास्तु के अनुसार किस दिशा में क्या होना चाहिए, जानें दिशाओं का महत्व

Vastushastra: वास्तुशास्त्र में हर दिशा का खास महत्व होता है. अगर आप उस दिशा को ध्यान में रखते हुए अपने घर का निर्माण करवाते हैं तो इससे आपके जीवन पर कई गुना सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

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Inna Khosla
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What should be in which direction according to Vastu

What should be in which direction according to Vastu

Vastushastra: वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विद्या है जो भवन निर्माण में दिशाओं और ऊर्जा संतुलन का ध्यान रखती है. इसमें हर दिशा का अलग महत्व होता है और प्रत्येक दिशा में विशेष कार्य या वस्तु रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. किस दिशा में क्या होना चाहिए, क्या रख सकते हैं और क्या नहीं रखना चाहिए इसके वास्तु में नियम बताए गए हैं. अगर आप इन नियमों को ध्यान में रखते हुए अपने घर का निर्माण करते हैं तो खुशियां आपके जीवन में सदा बनी रहती हैं. 

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किस दिशा में क्या होना चाहिए?

उत्तर दिशा को धन और समृद्धि की दिशा माना जाता है. तिजोरी या धन रखने का स्थान, पूजा कक्ष और पानी का स्रोत (जैसे पानी की टंकी या फव्वारा) इस दिशा में रखना अच्छो होता है. 

पूर्व दिशा सूर्य की उगने की दिशा होने के कारण इसे सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है. मुख्य द्वार, पूजा कक्ष और बच्चों के अध्ययन का स्थान इसी दिशा में होनी चाहिए, इसके अलावा, पूर्व दिशा की ओर खिड़कियां खुली होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

दक्षिण की दिशा को यम की दिशा माना जाता है, जो स्थिरता और शक्ति का प्रतीक है. इस ओर आप भारी सामान या फर्नीचर रखें. शयनकक्ष (मास्टर बेडरूम), मजबूत और ठोस दीवारें बनवाएं. ऐसा करने से आपके जीवन में भी स्थिरता और मजूबती आएगी. 

पश्चिम दिशा को लाभ और सफलता का प्रतीक माना जाता है. स्टोर रूम,डाइनिंग रूम, गेस्ट रूम, जल का स्रोत न रखें.

उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) का वास्तु में बहुत महत्व है. इसे सबसे पवित्र दिशा माना जाता है. यहां क्या होना चाहिए- पूजा कक्ष, पानी का स्रोत (जैसे कुंआ, पानी की टंकी), खाली और स्वच्छ स्थान.

दक्षिण-पूर्व दिशा को अग्नि कोण भी कहा जाता है. यह अग्नि तत्व की दिशा है. रसोई घर इस दिशा में बनाना उत्तम रहता है. इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, गीजर और अन्य गर्म उपकरण आप इसी दिशा में लगवा सकते हैं. 

दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण) ka स्थिरता और सुरक्षा की दिशा माना जाता है. क्या होना चाहिए अब ये भी जान लें, यहां मास्टर बेडरूम, भारी फर्नीचर, तिजोरी न रखें.

उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण) हवा और संचार की दिशा है. यहां क्या होना चाहिए ये भी जान लें, गेस्ट रूम, वाहन खड़ा करने का स्थान, शौचालय या स्टोर रूम.

घर की मध्य दिशा (ब्रह्म स्थान) को खाली और स्वच्छ रखें. टूटे-फूटे या खराब सामान को तुरंत घर से बाहर करें. उत्तर और पूर्व दिशा को हमेशा हल्का और खुला रखें. दक्षिण और पश्चिम दिशा में भारी सामान रखें. रसोई में चूल्हा और पानी का स्थान अगल-बगल न हो. वास्तु शास्त्र के इन नियमों का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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