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क्या दुनिया का विनाश तय? महादेव की तीसरी आंख से है कनेक्शन, जानिए क्या है इसका रहस्य?

शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब भगवान भोलेनाथ तीसरी आंख खोलेंगे तो संपूर्ण ब्रह्मांड नष्ट हो जाएगा. तो आज हम आज जानेंगे कि आखिर ये तीसरी आंख क्या रहस्य है?

Updated on: 07 Aug 2023, 08:42 PM

नई दिल्ली:

इस सृष्टि के पालनकर्ता और देवों के देव महादेव को जगत का पालनकर्ता कहा जाता है. भोलेनाथ इतने भोले हैं कि उन्हें प्रसन्न करना सबसे आसान है. वह अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं. अगर भक्त सच्चे मन से कुछ मांगते हैं तो वो उनकी बातें जरूर सुनते हैं और हां इतना ही नहीं वो अपने भक्तों पर हमेशा नजर भी रखते हैं. इसलिए वो अपने भक्त को किसी भी मुसीबत में पड़ने से पहले ही बचा लेते हैं.

वहीं दूसरी ओर महादेव का रौद्र रूप भी है, अगर वह इस रूप में आ जाएं तो इस पूरी सृष्टि का विनाश हो जाएगा. इस रौद्र रूप के कारण महादेव को रुद्र भी कहा जाता है. अगर महादेव इस रूप में आते हैं तो उनकी तीसरी आंख खुल जाती है. क्या आपने कभी सोचा है कि महादेव की तीसरी आंख का रहस्य क्या है? तो आइए आज यानी इस सावन महीने के सोमवार को हम आपको बताते हैं, भोलेनाथ की तीसरी आंख के बार में.

तीसरी आंख खुली तो हो जाएगा विनाश
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब भगवान भोलेनाथ तीसरी आंख खोलेंगे तो संपूर्ण सृष्टि का विनाश हो जाएगा और फिर से एक नए युग की शुरुआत होगी. यह भी कहा जाता है कि जब पृथ्वी पर पाप और अत्याचार बढ़ जाते हैं, तब महादेव अपनी तीसरी आंख खोलते हैं ताकि इस पृथ्वी को बचाया जा सके. इसी तीसरे नेत्र के कारण महादेव को त्रिनेत्रधारी और त्रिलोचन भी कहा जाता है. महादेव के तीसरे नेत्र में भूत, वर्तमान और भविष्य समाया हुआ है. अब क्या आप जानते हैं कि इस तीसरी आंख का रहस्य क्या है?

तीसरी आंख का रहस्य ये है
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव हिमालय पर्वत पर एक सभा का आयोजन कर रहे थे. इसी बीच माता पार्वती वहां पहुंच गईं और उन्होंने शंकर जी की दोनों आंखों पर अपने हाथ रख दिए, जैसे ही पार्वती जी ने ऐसा किया, पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा हो गया और हर तरफ हाहाकार मच गया. जीव-जंतु इधर-उधर भागने लगे. महादेव ये सब देख नहीं पाए और तभी उनके माथे पर ज्योतिपुंज प्रकट हुई. इस ज्योतिपुंज के खुलते ही पूरी पृथ्वी फिर से प्रकाशमय हो गई और सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो गया.