Shree Siddhivinayak Ganapati Mandir: क्या है मुंबई के मशहूर सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास
Shree Siddhivinayak Ganapati Mandir: बॉलीवुड का हर बड़ा स्टार, हर राजनेता मुंबई में सिद्धिविनायक के दर्शन करने जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं 200 साल से भी पुराने इस मंदिर का इतिहास क्या है.
नई दिल्ली:
Shree Siddhivinayak Ganapati Mandir: 'सिद्धिविनायक' का शाब्दिक अर्थ है 'बाधाओं पर भगवान'. मुंबई में गणपति का ये विशाल मंदिर 200 वर्ष से भी ज्यादा पुराना है. इस मंदिर मे आने वाले भक्तगण कभी खाली हाथ नहीं लौटते. मान्याता है कि विघ्नहरण गणेश जी के दर्शन मात्र से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं. लेकिन इस मंदिर की स्थापना कब और कैसे हुई. सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण किस उद्देश्य से करवाया गया है ये सब हम आपको बता रहे हैं. हर साल यहां लाखों श्रद्धालू दूर-दूर से माथा टेकने आते हैं. हज़ारों की संख्या में विदेशी भी यहां बाबा के दर्शन करने आते हैं. बॉलीवुड के सुपरस्टार हों या को बड़ा राजनेता सबके काम बाबा के दर्शन के बाद ही संपन्न होते हैं. तो आइए जानते हैं सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास क्या है.
कब हुआ था सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण
मंदिर में दी गयी जानकारी के अनुसार, सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण कार्य 19 नवंबर 1801 में पूरा हुआ था. कहते हैं इस मंदिर के निर्माण के लगी धनराशि एक किसान महिला ने दी थी. गणपति की आरती करते समय आपने ये लाइन जरुर पढ़ी होगी - अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया, बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया. ये किसान महिला भी नि:संतान थी लेकिन गणपति बप्पा पर उसकी बड़ी आस्था थी. वो चाहती थी जिस तरह उसके साथ हुआ वैसा अन्य किसी महिला के साथ ना हो. बप्पा के आशीर्वाद से हर महिला की गोद भरे, कोई बांझ ना रहे. उसने मंदिर का निर्माण करवाते समय बप्पा से इसी आशीर्वाद की प्रार्थना की. इसीलिए वो जो भी महिला इस मंदिर में अपनी पूरी भक्ति और श्रद्धा से आती है वो कभी खाली हाथ नहीं जाती.
सिद्धिविनायक मूर्ति की खासियत
वास्तु के अनुसार कहा जाता है कि दाईं ओर सूंड वाले गणेश जी जल्द मनोकामना पूरी करते हैं. सिद्धिविनायक मंदिर में भी भगवान गणेश जी की सूंड दाईं ओर है. गणेश जी की इस मूर्ति को एक काले पत्थर से तराशा गया है जो को 2.6 फीट ऊंची और 2 फीट चौड़ी है. भगवान गणेश इस मंदिर में अपनी दोनो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि के साथ स्थापित किए गए हैं.
गणेश की मूर्ति के चार हाथ हैं उनके ऊपरी दाहिने हाथ में एक छोटी सी कुल्हाड़ी है, ऊपरी बाएँ हाथ में एक कमल रखते हैं, अपने निचले दाहिने हाथ से आशीर्वाद देते हैं और अपने निचले बाएं हाथ में मोदक रखते हैं.
मंदिर में चांदी के दो बड़े चूहों की मूर्तियां भी हैं. चूहा गणपति की सवारी माना जाता है. कहते हैं जो भी चूहे के कान में अपना मनोकामना कहते हैं वो जरुर पूरी होती है.
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सिद्धिविनायक मंदिर की इमारत
सिद्धिविनायक मंदिर एक 6 मंजिला इमारत है. इस मंदिर के शीर्ष पर एक गुंबद है जो सोने से मढ़ा हुआ है. सिद्धिविनायक मंदिर की इमारत संगमरमर और गुलाबी ग्रेनाइट से बनी है, जबकि परिसर में कई गुंबद सोने या पांच धातुओं मढ़े गए हैं.
आप इस मंदिर में किसी भी दिन जा सकते हैं. सुबह 5.30 बजे मंदिर के कपाट खुल जाते हैं और किसी विशेष दिन जैसे विनायक चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2023) आदि पर सुबह 3.30 बजे मंदिर के कपाट खोले जाते हैं.
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