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क्या है सनातन धर्म, आदिकाल से अबतक क्यों है प्रासंगिक, जानें सबकुछ

सनातन धर्म में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के चार पुरुषार्थ शामिल हैं जो मनुष्य के जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध होते हैं. सनातन धर्म भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका इतिहास बहुत प्राचीन है.

Updated on: 11 Feb 2024, 03:07 PM

नई दिल्ली:

सनातन शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है और इसका मतलब है "सर्वसाधारण" या "शाश्वत". यह शब्द सनातन धर्म को संकेतित करता है, जो एक प्राचीन भारतीय धार्मिक परंपरा है जो वेदों पर आधारित है. इसे आध्यात्मिकता, धर्म, और शिक्षा का प्रमुख स्तंभ माना जाता है, जिसमें मोक्ष की प्राप्ति के लिए धार्मिक आदर्शों और सिद्धांतों का अध्ययन होता है. सनातन धर्म एक प्राचीन धर्म है जो भारतीय सभ्यता के मूल और आध्यात्मिक अनुभव का प्रतिनिधित्व करता है. यह धर्म जीवन के सभी क्षेत्रों को समृद्ध और संतुलित बनाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है, जैसे ध्यान, योग, कर्म, भक्ति आदि. सनातन धर्म में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के चार पुरुषार्थ शामिल हैं जो मनुष्य के जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध होते हैं. सनातन धर्म भारतीय सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका इतिहास बहुत प्राचीन है.

यहाँ कुछ सनातन धर्म की खास जानकारियां हैं

वेदों का महत्व: सनातन धर्म का मूल आधार वेद है, जो भारतीय साहित्य के प्राचीनतम ग्रंथ हैं. वेदों को अपौरुषेय, अज्ञातकर्तृक और सनातन माना जाता है.

धार्मिक आचार्यों का महत्व: सनातन धर्म में धार्मिक आचार्यों का विशेष महत्व है, जैसे कि आदि शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, मध्वाचार्य आदि. उन्होंने धर्म की विविधता को समझाया और उसे बचाने का काम किया.

संस्कृति का महत्व: सनातन धर्म भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहाँ विविधता, धार्मिकता, और समाज की एकता की मान्यता है.

धर्म के चार मुख्य पुरुषार्थ: सनातन धर्म में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के चार मुख्य पुरुषार्थ होते हैं. इनमें से प्रत्येक का महत्व और साधन करने का तरीका विभिन्न होता है.

संस्कारों का महत्व: सनातन धर्म में संस्कारों का महत्वपूर्ण स्थान है. विवाह, जन्म, देहांत, आदि परिस्थितियों में विभिन्न संस्कारों का पालन किया जाता है.

कर्म का सिद्धांत: सनातन धर्म में कर्म का महत्व बहुत अधिक होता है. कर्म का सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति के कर्मों का फल उसे प्राप्त होता है.

धर्म के लक्षण: धर्म के प्रमुख लक्षणों में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, संतोष, तपस्या, स्वाध्याय, और ईश्वर प्रीति शामिल हैं.

पुराण और इतिहास: सनातन धर्म में विशाल संख्या में पुराण और इतिहासिक कथाएं हैं जो धार्मिक सिद्धांतों का वर्णन करती हैं और जीवन के मूल्यों को सिखाती हैं.

मोक्ष की प्राप्ति: सनातन धर्म में मोक्ष को मानव जीवन का प्रमुख उद्देश्य माना जाता है, जिसमें जीवात्मा को दिव्यता की प्राप्ति के लिए मुक्ति मिलती है.