Kanyadaan Ritual: दान में है महान इसलिए कहा जाता है 'महादान', जानें शादी में कन्यादान का महत्व

Kanyadaan Ritual: कन्यादान एक महत्वपूर्ण रस्म है जो धार्मिक, सामाजिक और भावनात्मक महत्व रखती है. यह एक परम्परागत प्रथा है जो परिवारों के संबंधों को मजबूत और सामूहिकता को बढ़ावा देती है.

Kanyadaan Ritual: कन्यादान एक महत्वपूर्ण रस्म है जो धार्मिक, सामाजिक और भावनात्मक महत्व रखती है. यह एक परम्परागत प्रथा है जो परिवारों के संबंधों को मजबूत और सामूहिकता को बढ़ावा देती है.

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Inna Khosla
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Kanyadaan Ritual( Photo Credit : News Nation)

Kanyadaan Ritual: शादी में कन्यादान एक महत्वपूर्ण रस्म है, जिसके कई धार्मिक, सामाजिक और भावनात्मक महत्व हैं. कन्यादान का अर्थ होता है कि पिता अपनी कन्या को दान के रूप में दूसरे परिवार के पुरुष को सौंपता है. इस प्रक्रिया में पिता अपनी कन्या को धार्मिक और समाजिक दायित्व के साथ उसके नए घर को समर्पित करता है. कन्यादान के माध्यम से पिता अपनी पुत्री को उसके नए घर के लिए शुभकामनाएं देता है, और उसे नये जीवन के लिए सजीव अनुशासन में सौंपता है. इसके साथ ही, कन्यादान का अद्भुत महत्व है क्योंकि इसे एक परम्परागत और सामाजिक प्रथा के रूप में भी माना जाता है, जो समाज की एकता और सामंजस्य को बनाए रखने में मदद करता है. कन्यादान के साथ-साथ, यह भी दिखाता है कि परिवार का पिता अपनी कन्या के प्रति प्यार और समर्पण के साथ उसके भविष्य की चिंता करता है और उसे खुशियों से लबालब करने की कोशिश करता है.

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धार्मिक महत्व: हिंदू धर्म में, कन्यादान को एक महादान माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब माता-पिता अपनी पुत्री का विवाह करते हैं तो उन्हें पुण्य प्राप्त होता है. कन्यादान को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब कन्यादान किया जाता है तो घर में सुख-समृद्धि आती है.

सामाजिक महत्व: कन्यादान एक सामाजिक रस्म भी है, जिसके द्वारा लड़की को एक नए परिवार में स्वीकार किया जाता है. कन्यादान लड़की के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ होता है. यह उसके जीवन का एक नया अध्याय शुरू करता है. 

भावनात्मक महत्व: कन्यादान माता-पिता और पुत्री के बीच भावनात्मक संबंधों का प्रतीक है. यह माता-पिता के प्यार और त्याग का प्रतीक है. कन्यादान लड़की के लिए भी महत्वपूर्ण होता है. यह उसके जीवन में एक नया अध्याय शुरू करता है, और यह उसे एक पत्नी और मां बनने की जिम्मेदारी देता है. 

कन्यादान हमेशा लड़की की इच्छा से ही किया जाना चाहिए. कन्यादान एक दान है, इसलिए इसे लेन-देन की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. कन्यादान के बाद, लड़की का नया परिवार उसकी देखभाल और जिम्मेदारी लेता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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