Shrimad Bhagwat Geeta: भगवद गीता क्या है, जानें भगवान कृष्ण के उपदेश, जो बदल देंगे आपका जीवन 

Shrimad Bhagwat Geeta: ये तो सब जानते हैं कि गीता में जीवन का सार है. लेकिन गीता के मुख्य उपदेश क्या हैं जिन्हें योगशास्त्र भी कहा जाता है आइए जानते हैं.

Shrimad Bhagwat Geeta: ये तो सब जानते हैं कि गीता में जीवन का सार है. लेकिन गीता के मुख्य उपदेश क्या हैं जिन्हें योगशास्त्र भी कहा जाता है आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Shrimad Bhagwat Geeta

Shrimad Bhagwat Geeta( Photo Credit : news nation)

Shrimad Bhagwat Geeta:  भगवद गीता, हिन्दू धर्म के महाभारत युद्ध के युद्धभूमि कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुई संवाद का हिस्सा है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर उपदेश दिए हैं और उन्हें जीवन में सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है. गीता को "योगशास्त्र" भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें जीवन को सही रूप से जीने के लिए योग का सिद्धांत है. अगर आप जीवन में सफलता पाना चाहते हैं, अपने मन को शांत रखना चाहते हैं और त्याग की भावना को समझकर उसके महत्व को जानना चाहते हैं तो आपको भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए इन उपदेशों को जरूर जानना चाहिए. 

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कर्मयोग (योग द्वारा कर्म): गीता में कहा गया है कि कर्म करो, परंतु फल की आसक्ति न करो. यह बताता है कि हमें अपने कर्मों का निष्काम भाव बनाए रखना चाहिए.

ज्ञानयोग (आत्मा और ब्रह्मा का ज्ञान): गीता में आत्मा का अद्वितीय और अनन्त स्वरूप होने का ज्ञान प्रदान किया गया है.

भक्तियोग (परमेश्वर में भक्ति): भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ भक्ति रखने का महत्व गीता में बताया गया है.

कर्मसंन्यास योग (कर्म और संन्यास का संबंध): गीता में कहा गया है कि कर्म से संन्यास सही रूप से हो सकता है, और यह जीवन को उच्चतम लक्ष्य की दिशा में बदल सकता है.

इष्टदेव और पूजा: गीता में इष्टदेव की महत्वपूर्णता को बताया गया है, और यह भक्ति मार्ग में सहायक होता है.

अहिंसा और दया: गीता में हिंसा से दूर रहने और सभी जीवों के प्रति दया रखने का समर्थन किया गया है.

समता और त्याग: गीता में सभी परिस्थितियों में समता बनाए रखने और आसक्ति से रहित रहने का महत्व बताया गया है.

आत्म-निग्रह (अपने मन को नियंत्रित करना): गीता में मन को नियंत्रित करने की आवश्यकता और उसका मनोबल बनाए रखने का महत्व बताया गया है.

योगभाष्य (योगी होने के गुण): गीता में योगी के गुणों का विवेचन किया गया है, जिसमें समदृष्टि, त्याग, आत्मसंयम, और अन्य गुण शामिल हैं.

सर्वभूतहित (सभी के हित में कार्य करना): गीता में सभी प्राणियों के हित में कार्य करने का सुझाव दिया गया है, और सभी को भाई-भाई के रूप में देखने की प्रेरणा दी गई है.

गीता के ये उपदेश मानव जीवन को आदर्श और सार्थक बनाने के लिए हैं और व्यक्ति को धार्मिक, नैतिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मजबूती प्रदान करते हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।) 

Source : News Nation Bureau

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