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Jaya Parvati Vrat 2024 ( Photo Credit : News Nation)
Jaya Parvati Vrat 2024 : भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित जयापार्वती व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं. यह व्रत आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर पूर्णिमा तक किया जाता है. पांच दिनों तक किया जाने वाला ये व्रत इस साल कब तक रखा जाएगा. जयापार्वती व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है और किस विधि से ये व्रत रखा जाता है सब जान लें. जया पार्वती व्रत देवी पार्वती की पूजा का व्रत है. देवी पार्वती को शक्ति, सौंदर्य, और समृद्धि की देवी माना जाता है. इस व्रत को करने से देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है. सुख, समृद्धि, और वैवाहिक जीवन में सफलता के लिएये व्रत रखा जाता है. अविवाहित महिलाओं के लिए भी विशेष रूप से ये महत्वपूर्ण है. माना जाता है कि जया पार्वती व्रत पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए भी जातक रखते हैं.
त्रयोदशी तिथि जुलाई 18, 2024 को 08:44 पी एम बजे से शुरू हो चुकी है और आज जुलाई 19, 2024 को देर शाम 07:41 पी एम बजे तक रहेगी. ऐसे में जयापार्वती व्रत शुक्रवार, जुलाई 19, 2024 को ही रखा जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
जयापार्वती प्रदोष पूजा मूहूर्त - 07:19 पी एम से 09:23 पी एम तक है यानि पूजा के लिए 02 घण्टे 03 मिनट्स की अवधि है.
जया पार्वती व्रत बुधवार, जुलाई 24, 2024 को समाप्त होगा
जयापार्वती व्रत के नियम ?
जयापार्वती व्रत के नियमों का पालन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाता है. व्रत की शुरुआत से पहले संकल्प लें. संकल्प लेते समय भगवान शिव और देवी पार्वती का ध्यान करें और व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने का निश्चय करें. व्रत के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. प्रतिदिन सुबह और शाम स्नान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को स्वच्छ रखें. प्रतिदिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें. पूजा में ताजे फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप और पंचामृत का उपयोग करें. धूप-दीप जलाकर भगवान की आरती करें और भोग लगाएं.
उपवास का पालन कर रहे हैं तो व्रत के दौरान फलाहार या एक समय भोजन कर सकते हैं. सात्विक और शुद्ध भोजन ही ग्रहण करें. मांसाहार और तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन न करें. प्रतिदिन जयापार्वती व्रत की कथा का सुनें या पढ़ें. कथा सुनने से व्रत का महत्व और आशीर्वाद प्राप्त होता है. व्रत के दौरान मन, वचन, और कर्म से भगवान शिव और देवी पार्वती की भक्ति करें और व्रत का पालन पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ करें. मन को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखें.
व्रत के अंतिम दिन, व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों या गरीबों को भोजन कराएं. अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें और जरूरतमंदों की सहायता करें. व्रत के पाँच दिनों तक नियमित रूप से पूजा और उपवास का पालन करने वाले किसी भी दिन नियमों का उल्लंघन न करनें वाले व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
व्रत के पाँचवें दिन, पूजा के बाद व्रत का पारण करें. भगवान शिव और देवी पार्वती से व्रत पूर्ण होने की प्रार्थना करें. पारण के बाद सामान्य भोजन ग्रहण करें और व्रत समाप्ति की विधि का पालन करें. इस व्रत का पालन पति की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि, और अविवाहित कन्याओं के लिए योग्य वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है. धार्मिक और नैतिक नियमों का पालन करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Source : News Nation Bureau