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शंख बजाने से क्‍या होते हैं फायदे, कैसे हुई इसकी उत्‍पत्‍ति? जानें यहां

हिंदू धर्म में शंख का बड़ा महत्‍व है. युगों से पूजा-पाठ में शंख बजाने का प्रचलन है. आम तौर पर हर हिंदू के पूजाघर में शंख रखने का नियम है. शंख बजाना शास्त्रों में बहुत कल्याणकारी माना गया है. शंख को समुद्र मंथन से निकले रत्‍नों में से एक माना जाता है.

Updated on: 20 Sep 2020, 05:04 PM

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में शंख (Shankh Or Conch Shell) का बड़ा महत्‍व है. युगों से पूजा-पाठ में शंख बजाने का प्रचलन है. आम तौर पर हर हिंदू (Hindu) के पूजाघर में शंख रखने का नियम है. शंख बजाना शास्त्रों में बहुत कल्याणकारी माना गया है. शंख को समुद्र मंथन से निकले रत्‍नों में से एक माना जाता है. शंख को लोग मां लक्ष्मी (Mata Laxmi) का भाई भी मानते हैं. ऐसा इसलिए क्‍योंकि शंख की तरह लक्ष्मी जी भी समुद्र मंथन से उत्‍पन्‍न हुई थीं. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु (Lord Vishnu), दोनों ही अपने हाथों में शंख को धारण करते हैं, लिहाजा, शंख को बहुत शुभ माना गया है.

माना जाता है कि पूजा-पाठ में शंख बजाने से जहां तक आवाज जाती है, इसे सुनकर सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, शंख में जल रखकर छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है. साथ ही शंख बजाने से एक तरह से फेफड़े का व्यायाम होता है. सांस का रोगी राजाना शंख बजाए तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है, ऐसा पुराणों में कहा गया है. शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. वास्तुशास्त्र में भी शंख सेपॉजिटिव एनर्जी आने की बात कही गई है.

शंख तीन प्रकार के होते हैं: दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख. भगवान् विष्णु दक्षिणावर्ती शंख धारण करते हैं तो माता लक्ष्मी वामावर्ती. घर में वामावर्ती शंख हो तो धन का कभी अभाव नहीं होता. भगवान कृष्ण के पास पाञ्चजन्य शंख था, जिसकी ध्वनि कई किलोमीटर तक सुनी जाती थी. कहा जाता है कि महाभारत की लड़ाई में पाञ्चजन्य शंख की ध्‍वनि से श्रीकृष्‍ण पांडवों की सेना उत्‍साह का संचार करते थे तो दूसरी ओर, कौरव खेमे में भय का माहौल कायम हो जाता था.