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मोती पहनना आपके लिए शुभ है या फिर अशुभ, यहां जानें

ज्योतिष रत्नों में मोती को विशेष स्‍थान प्राप्‍त है. मोती को चन्द्रमा का प्रतिरूप माना गया है और कहा जाता है कि इसमें चंद्रमा के गुण विद्यमान होते हैं.  मोती शीतल प्रभाव रखने वाला एक सौम्य प्रवृत्‍ति का रत्न माना जाता है.

Updated on: 15 Jan 2021, 06:24 PM

नई दिल्ली:

ज्योतिष रत्नों में मोती को विशेष स्‍थान प्राप्‍त है. मोती को चन्द्रमा का प्रतिरूप माना गया है और कहा जाता है कि इसमें चंद्रमा के गुण विद्यमान होते हैं.  मोती शीतल प्रभाव रखने वाला एक सौम्य प्रवृत्‍ति का रत्न माना जाता है. चन्द्रमा को मजबूत करने के लिए ज्‍योतिषी अकसर मोती को धारण करने की सलाह देते हैं. मोती धारण करने से मन एकाग्र होता है. नकारात्‍मक सोच, मानसिक तनाव की स्‍थिति में भी मोती धारण करने से लाभ मिलता है. हालांकि हर आदमी को मोती धारण नहीं करना चाहिए. मोती सबके लिए शुभ हो, यह भी जरूरी नहीं है. कई बार यह मारक रत्‍न का भी काम करता है और कष्ट, बीमारियां, दुर्घटनाएं और संघर्ष को दावत दे देता है. इसलिए बिना किसी जानकार की सलाह के मोती या कोई भी रत्‍न धारण न करें. 

कुंडली में चन्द्रमा की हालत कमजोर होने पर ज्‍योतिषी मोती पहनने की सलाह देते हैं, जिनकी कुंडली में चन्द्रमा शुभ ग्रह होता है. मोती के पहनने से चन्द्रमा की शक्ति बहुत बढ़ जाती है. यदि कुंडली में चन्द्रमा अशुभ फल देने वाला ग्रह हुआ तो मोती पहनना बहुत हानिकारक होगा. कुंडली में चन्द्रमा शुभ कारक है तो मोती धारण करने से शुभ लाभ मिलेंगे.

सामान्‍यत: मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के जातकों के लिए मोती को धारण करना शुभ माना जाता है. वृष, मिथुन, कन्या, तुला और मकर लग्न के जातक जानकारों से राय लेकर ही मोती धारण करें. सिंह, धनु और कुम्भ लग्न के जातकों को मोती कभी धारण नहीं करना चाहिए. 

25 वर्ष से कम आयु होने होने पर सवा पांच रत्ती, 25 से 50 वर्ष आयु के बीच सवा सात रत्ती तथा 50 वर्ष से ऊपर सवा नौ रत्ती मोती धारण करें. कुंडली में चन्द्रमा कितना कमजोर है, इससे मोती की रत्‍ती कम या अधिक हो सकती है. 

चांदी की अंगूठी में मोती डलवाकर सीधे हाथ की कनिष्ठा या अनामिका उंगली में धारण करें. सफ़ेद धागे या चांदी की चेन के साथ मोती को आप गले में भी पहन सकते हैं. सोमवार सुबह गाय के कच्चे दूध एवं गंगाजल से मोती का अभिषेक करें और धूप-दीप जलाकर चन्द्रमा के मन्त्र 'ॐ सोम सोमाय नमः' का तीन माला जाप करें. फिर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मोती धारण करें.