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Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री व्रत का जानें शुभ मुहूर्त, नोट कर लें पूजा सामग्री की लिस्ट

इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमास्वस्या तिथि के दिन रखा जाता है

Updated on: 07 Jun 2021, 02:48 PM

highlights

  • वट सावित्री व्रत इस साल 10 जून, गुरुवार को रखा जाएगा
  • इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं
  • यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमास्वस्या तिथि के दिन रखा जाता है

नई दिल्ली:

Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री व्रत इस साल 10 जून, गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमास्वस्या तिथि के दिन रखा जाता है. शादीशुदा महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा (Banyan Tree) करती हैं, परिक्रमा करती हैं और कलावा बांधती हैं. ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को सच्ची निष्ठा से रखती है, उसे न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके पति पर आई सभी विपत्तियों का नाश भी हो जाता है. इस व्रत में पूजन की सामग्री का काफी महत्व होता है. यहां हम आपको बताएंगे कि इस व्रत में पूजन के लिए आपको क्या क्या सामग्री चाहिए होगी.

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वट सावित्री व्रत के लिए पूजन सामग्री

बांस का पंखा
लाल और पीले रंग का कलावा या सूत
धूप-दीप
घी-बाती
पुष्प
फल
कुमकुम या रोली
सुहाग का सामान
लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए
पूजा के लिए सिन्दूर
पूरियां
गुलगुले
चना
बरगद का फल
कलश जल भरा हुआ

वट सावित्री व्रत के लिए शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 9 जून 2021, दोपहर 01:57 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 10 जून 2021, शाम 04:22 बजे

हिन्दू धर्म में बरगद के पेड़ को पूजनीय माना जाता है, शास्त्रों के अनुसार बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का वास होता है. इसलिए बरगद के पेड़ की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. ऐसे में इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन बरगद के पेड़ का पूजन किया जाता है. इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं.

पूजा की विधि

इस दिन शादीशुदा महिलाएं सुबह प्रातः जल्दी उठें और स्नान करें. इसके बाद लाल या पीली साड़ी पहनकर पूरा दुल्हन की तरह तैयार हो जाएं. अब पूजा का सारा सामान व्यवस्थित तरीके से रख लें और वट (बरगद) के पेड़ के नीचे के स्थान को अच्छे से साफ कर वहां बरगद के पेड़ सावित्री-सत्यवान की मूर्ति स्थापित कर दें. इसके बाद बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं. अब वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें और सात बार परिक्रमा करें. इसके बाद हाथ में काले चना लेकर इस व्रत का कथा सुनें. 

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. News Nation इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)