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वट सावित्री पूजा : सुहाग की सलामती को सुहागिन करती हैं पूजा

वट सावित्री व्रत इस साल 10 जून, गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमास्वस्या तिथि के दिन रखा जाता है. शादीशुदा महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, परिक्रमा क

Updated on: 07 Jun 2021, 06:54 PM

दिल्ली :

वट सावित्री व्रत इस साल 10 जून, गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत कर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमास्वस्या तिथि के दिन रखा जाता है. शादीशुदा महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, परिक्रमा करती हैं और कलावा बांधती हैं. ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को सच्ची निष्ठा से रखती है, उसे न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि उसके पति पर आई सभी विपत्तियों का नाश भी हो जाता है. इस व्रत में पूजन की सामग्री का काफी महत्व होता है. यहां हम आपको बताएंगे कि इस व्रत में पूजन के लिए आपको क्या क्या सामग्री चाहिए होगी.

सुहाग की लंबी आयु व सुख-समृद्धि के लिए सुहागिन महिलाएं वट सावित्री की व्रत करती हैं. इस साल यह महान पर्व 10 जुलाई को है. कई पंचागों 10 जून गुरुवार की सुबह से दोपहर बाद तक पूजन का समय है. 9 जून की दोपहर बाद से अमावस्या का आगमन हो रहा है. इस कारण दूसरे दिन पूजन उत्तम है. लगातार दूसरे साल व्रत कोरोना काल में पड़ रहा है. इसके बारे में पंडितों का कहना है कि अगर व्रत करने वाली महिलाएं यात्रा में हो या किसी भी कारण से घर से बाहर नहीं जा सकती हैं तो वे भगवान शंकर से युक्त वटवृक्ष की तस्वीर की पूजा कर अपना व्रत पूरा कर सकती हैं.

9 की जून की दोपहर बाद अमावस्या का हो रहा आगमन

महावीर पंचाग के अनुसार 10 की जून अपराह्न 3.16 बजे तक, अन्नपूर्णा व आदित्य पंचाग के अनुसार 3.26 बजे तक पूजन का उत्तम समय है. अन्य पंचागों के हिसाब से नहीं 9 जून की दोपहर बाद अमावस्या का आगमन हो रहा है जो 10 जून की दोपहर बाद तक है. इसलिए 10 जून की सुबह से दोपहर बाद तक सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर पूजा कर सकती हैं.

पूजा के दौरान सुहागिन महिलाएं सुनेंगी सावित्री की कथा

इस व्रत की महत्ता यह है कि सुहागिन महिलाएं अखंड सौभग्य की कामना को लेकर गहरी आस्था के साथ व्रत करते हैं. पूजन के दौरान महिलाएं सावित्री की कथा सुनती हैं. पूजा में वट वृक्ष के तने में कच्चा सूत लपटते हुए प्रदक्षिणा की जाती है. वट वृक्ष के नहीं रहने पर दीवार पर वट वृक्ष का तस्वीर बनाकर भी पूजन करने का विधान है. पूजन के बाद सुहाग की सामग्री और एक पंखा दान करने करने उत्तम होता है. सत्यवान,सावित्री और यमराज का मिलन वट वृक्ष के नीचे ही हुआ था इसलिए वट वृक्ष पूजनीय है. ऐसे पीपल को विष्णु रूप और वट को शिवरूप कहा जाता है. वट पूजा की चर्चा पुराणों में भी है. घर के पूरब दिशा में वट वृक्ष का होना उत्तम माना गया है.