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Vastu Tips To Improve Relation Between Father and Son: पिता और बच्चों के बीच की दूरी से हो गए हैं हताश, इस एक छोटे से उपाय से मिट सकती है हर खटास

Vastu Tips To Improve Relation Between Father and Son: अक्सर कुछ घरों में पिता और बच्चों के बीच सम्बंध काफी बिगड़े हुए होते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी सुधरने का नाम नहीं लेते हैं. इसका कारण वास्तु दोष हो सकता है.

Updated on: 27 May 2022, 02:31 PM

नई दिल्ली :

Vastu Tips To Improve Relation Between Father and Son: वास्तु दोष जीवन में परेशानियों का पहाड़ खड़ा कर सकता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दोष का प्रभाव सबसे ज्यादा रिश्तों पर देखने को मिलता है. अक्सर कुछ घरों में पिता और बच्चों के बीच सम्बंध काफी बिगड़े हुए होते हैं और लाख कोशिशों के बाद भी सुधरने का नाम नहीं लेते हैं. ऐसे में आज हम आपको बस एक छोटा सा उपाय बताने जा रहे हैं जिसे करने के बाद आप खुद देखेंगे कि कैसे आपके घर में पिता और उसके बच्चों खासतौर पर पिता और पुत्र का रिश्ता पहले से काफी बेहतर हुआ है.  

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वास्तु शास्त्र में ऐसे बहुत से नियमों के बारे में बताया गया है, जिनका पालन करने से परिवार के लोग तरक्की करते हैं. घर में हर चीज को रखने के कुछ नियम होते हैं, अगर इन्हें सही दिशा या सही जगह पर न रखा जाए, तो ये वास्तु दोष पैदा करते हैं. और ये वास्तु दोष घर की शांति भंग करते हैं. पिता और पुत्र के रिश्तों में दरार पैदा करते हैं. घर के वास्तु दोष परिवार के बीच लड़ाई का कारण ही बनते हैं. ऐसे में अगर कुछ बातों का ध्यान रख लिया जाए, तो पिता और बेटे के बीच के संबंधों को सुधारा जा सकता है. और अपने रिश्तों को पहले जैसी मिठास ही दी जा सकती है. 

यूं दूर करें वास्तु दोष 
- वास्तु जानकारों का कहना है कि परिवार में पिता और पुत्र के बीच तनाव का कारण घर की उत्तर-पूर्वी दिशा का गंदा होना है. 

- अगर घर की ये दिशा गंदी हो या फिर इसका ध्यान न रखा जाए, तो इससे घर में वास्तु दोष पैदा होते हैं. और यही वास्तु दोष पिता और पुत्र के झगड़े का कारण बनते हैं. 

- अगर आप भी घर में पिता और संतान के बीच अच्छे संबंध बनाए रखना चाहते हैं, तो सबसे पहले घर की उत्तर-पूर्व दिशा को साफ करें. 

- वास्तु जानकारों का कहना है कि इस दिशा में कभी भी कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए. 

- अगर आप इस बात का ध्यान नहीं रखते तो घर के सदस्यों के बीच में मन-मुटाव रहता है और सब एक-दूसरे से ईर्ष्या करने लगते हैं. 

- समय रहते इस दिशा को साफ-सुथरा कर लें. वरना ये परिवार के सदस्यों के लिए सबब बन सकते हैं.