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Ishan Kon Significance and Rules: विवाहितों के लिए श्राप है 'ईशान कोण दिशा', जानें इससे जुड़े नियम और महत्व

Ishan Kon Significance and Rules: वास्तु शास्त्र में दिशाओं को उत्तर, पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम कोण, पश्चिम कोण और उत्तर पूर्व कोण माना जाता है. इन सभी दिशाओं में से पूर्वोत्तर को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.

Updated on: 04 Aug 2022, 02:33 PM

नई दिल्ली :

Ishan Kon Significance and Rules: वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर में चीजों को सही दिशा में रखना बेहद जरूरी होता है. वास्तु शास्त्र में दिशाओं को उत्तर, पूर्व, दक्षिण, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम कोण, पश्चिम कोण और उत्तर पूर्व कोण माना जाता है. इन सभी दिशाओं में से पूर्वोत्तर को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्वोत्तर दिशा में सभी देवी-देवता निवास करते हैं, इसलिए इसे सबसे पवित्र दिशा माना जाता है. इसे ईशान कोण के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं ईशान कोण से जुड़ी कुछ बातें.

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ईशान कोण में बसते हैं देवता
वास्तु शास्त्र के हिसाब से ईशान कोण में पूजा घर बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. इस दिशा में अपने घर का मुख्य द्वार होना भी शुभ माना जाता है. घर की तिजोरी रखने के लिए ईशान कोण की दिशा सबसे अच्छी होती है. इस दिशा में तिजोरी रखने से धन में वृद्धि होती है.

ऐसा माना जाता है कि अगर घर की तिजोरी को उत्तर-पूर्व कोने में रखा जाए तो घर की लड़की अधिक बुद्धिमान और प्रसिद्ध हो जाती है, जबकि घर की तिजोरी पूर्व-उत्तर में रखी जाती है, तो घर का पुत्र बुद्धिमान और प्रसिद्ध हो जाता है.

इन बातों का रखें ध्यान
वास्तु शास्त्र के हिसाब से इस दिशा में बेडरूम बनाना अच्छा नहीं माना जाता है क्‍योंकि विवाहित जोड़ों के लिए यह दिशा अच्‍छी नहीं मानी जाती है. ऐसे में अगर आप इस दिशा में अपना बेडरूम बनाते हैं तो आपके और आपके पार्टनर के बीच तनाव बना रहता है.

इसी तरह पवित्र दिशा होने के कारण इस दिशा में यदि आप शौचालय बनवाते हैं तो यह आपके वास्तु दोष का कारण भी बन सकता है. इसलिए ईशान कोण में शौचालय बनाने से बचें. ऐसे में कहा जाता है कि वास्तु शास्त्र के हिसाब से ही घर में चीजों को रखना चाहिए.