logo-image

Vaishakh Amavasya 2020: वैशाख अमावस्या आज, जानें इसका महत्व

मान्यता है कि इस दिन सवेरे उठकर गंगा स्नान कर दान ,दक्षिणा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Updated on: 22 Apr 2020, 12:00 PM

नई दिल्ली:

Vaishakh Amavasya 2020: आज वैशाख अमावस्या है. यह तिथि पितरों को समर्पित होती है. इस दिन राहु-केतु की उपासना से लाभ मिलता है. इस दिन दात करने और व्रत रखने का भी काफी महत्व है. मान्यता है कि इस दिन सवेरे उठकर गंगा स्नान कर दान ,दक्षिणा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

शुभ मुहूर्त

वैशाख अमावस्या शुरू, 22 अप्रैल सुबह 05:37
वैशाख अमावस्या खत्म- 23 अप्रैव सुबह 07:55

वैशाख अमाव्सया पर क्या करें

ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए
पवीत्र तीर्थ स्थलों पर सन्ना करना चाहिए
इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का काफी महत्व होता है
सन्ना के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और जल में तिल प्रवाहित करें.
अपने सामर्थ्य अनुसार दान दें

बता दें वैशाख अमावस्या के साथ-साथ आज ही के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका और महाराष्ट्र में यह तिथि शनि जयंती के रूप में मनाई जाती है.इसी वजह से कि दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना भी की जाती है.

वैशाख अमावस्या की कथा

बहुत समय पहले धर्मवर्ण नाम के एक विप्र थे जो बहुत ही धार्मिक प्रवृति के थे. एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि घोर कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है. जो पुण्य यज्ञ करने से प्राप्त होता था उससे कहीं अधिक पुण्य फल नाम सुमिरन करने से मिल जाता है.
धर्मवर्ण ने इसे आत्मसात कर सन्यास लेकर भ्रमण करने निकल गए.

एक दिन भ्रमण करते-करते वह पितृलोक जा पंहुचे। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे. पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत धर्मवर्ण के सन्यास के कारण हुई है क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है. यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करें.

धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा. तत्पश्चात धर्मवर्ण अपने सांसारिक जीवन में वापस लौट आया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई