सोनम की शादी के दिन का ये वीडियो हुआ वायरल, पहले दिन ही लोगों को हो गया था शक
Indore Couple Missing Case: शादी के सात दिन बाद रचि हत्या की साजिश, सोनम की कॉल डिटेल ने खोली हत्या की गुथ्थी
बढ़ती समुद्री गर्मी से प्रवाल को बचाने के लिए शोधकर्ताओं ने ढूंढा नया तरीका
11 साल नहीं भाजपा उत्तर प्रदेश की जनता को 20 साल का हिसाब दे : अखिलेश यादव
'पीछे से आकर उसने मेरे प्राइवेट पार्ट को', 14 साल की उम्र में सुपरस्टार की मासूम बच्ची के साथ हुई थी घिनौनी हरकत
ट्रेन हादसे के लिए रेल मंत्री जिम्मेदार : सांसद प्रियंका चतुर्वेदी
साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें म्यांमार और चीन :मिन आंग ह्लाइंग
नेहरू विहार दरिंदगी मामला: आप नेता ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात, दिल्ली सरकार पर लापरवाही का आरोप
केंद्र ने एसईजेड नियमों में किया बदलाव, देश में हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा

Vaishakh Amavasya 2020: वैशाख अमावस्या आज, जानें इसका महत्व

मान्यता है कि इस दिन सवेरे उठकर गंगा स्नान कर दान ,दक्षिणा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

मान्यता है कि इस दिन सवेरे उठकर गंगा स्नान कर दान ,दक्षिणा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

author-image
Aditi Sharma
एडिट
New Update
Vaishakh Amavasya

वैशाख अमावस्या( Photo Credit : फाइल फोटो)

Vaishakh Amavasya 2020: आज वैशाख अमावस्या है. यह तिथि पितरों को समर्पित होती है. इस दिन राहु-केतु की उपासना से लाभ मिलता है. इस दिन दात करने और व्रत रखने का भी काफी महत्व है. मान्यता है कि इस दिन सवेरे उठकर गंगा स्नान कर दान ,दक्षिणा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Advertisment

शुभ मुहूर्त

वैशाख अमावस्या शुरू, 22 अप्रैल सुबह 05:37
वैशाख अमावस्या खत्म- 23 अप्रैव सुबह 07:55

वैशाख अमाव्सया पर क्या करें

ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए
पवीत्र तीर्थ स्थलों पर सन्ना करना चाहिए
इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का काफी महत्व होता है
सन्ना के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और जल में तिल प्रवाहित करें.
अपने सामर्थ्य अनुसार दान दें

बता दें वैशाख अमावस्या के साथ-साथ आज ही के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका और महाराष्ट्र में यह तिथि शनि जयंती के रूप में मनाई जाती है.इसी वजह से कि दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना भी की जाती है.

वैशाख अमावस्या की कथा

बहुत समय पहले धर्मवर्ण नाम के एक विप्र थे जो बहुत ही धार्मिक प्रवृति के थे. एक बार उन्होंने किसी महात्मा के मुख से सुना कि घोर कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी कार्य में नहीं है. जो पुण्य यज्ञ करने से प्राप्त होता था उससे कहीं अधिक पुण्य फल नाम सुमिरन करने से मिल जाता है.
धर्मवर्ण ने इसे आत्मसात कर सन्यास लेकर भ्रमण करने निकल गए.

एक दिन भ्रमण करते-करते वह पितृलोक जा पंहुचे। वहां धर्मवर्ण के पितर बहुत कष्ट में थे. पितरों ने उसे बताया कि उनकी ऐसी हालत धर्मवर्ण के सन्यास के कारण हुई है क्योंकि अब उनके लिए पिंडदान करने वाला कोई शेष नहीं है. यदि तुम वापस जाकर गृहस्थ जीवन की शुरुआत करो, संतान उत्पन्न करो तो हमें राहत मिल सकती है। साथ ही वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से पिंडदान करें.

धर्मवर्ण ने उन्हें वचन दिया कि वह उनकी अपेक्षाओं को अवश्य पूर्ण करेगा. तत्पश्चात धर्मवर्ण अपने सांसारिक जीवन में वापस लौट आया और वैशाख अमावस्या पर विधि विधान से पिंडदान कर अपने पितरों को मुक्ति दिलाई

Source : News Nation Bureau

baishakhi amavasya vaishakh amavasya imporatnce snan
      
Advertisment