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Sawan 2021: इस बार बन रहे हैं सावन में दो विशेष संयोग, जानिए रुद्राभिषेक करने का महत्व

भगवान में श्रद्धा रखने वाले हर साल सावन में सोमवार के व्रत करते हैं. इस बार सावन (Sawan 2021) में 4 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त को समाप्त हो रहा है.

Updated on: 20 Jul 2021, 05:06 PM

highlights

  • सावन में दो दुर्लभ संयोग 
  • सावन का महीना चंद्र प्रधान
  •  रविवार से शुरू और रविवार को ही खत्म 

दिल्ली :

सावन महीने को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है. इस साल 25 जुलाई से श्रावण का महीना आरम्भ हो रहा है. सावन के महीने में भगवान् भोले नाथ की  पूजा को महत्त्वपूर्ण और प्रभावकारी माना जाता है. इस बार सावन महीने में 4 सोमवार होंगे. यह अद्भुत संयोग है और इस बार श्रावण मास रविवार से शुरू हो कर रविवार को ही खत्म हो रहा है. इस सावन के मास में अनेक प्रकार के शुभ योग बन रहे हैं. इन दिनों पूजा करने और रुद्रभिषेक करने से शिव की पूजा करने वालों को सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. 

सावन का महीना चंद्र प्रधान माना जाता है. जल तत्त्व प्रधान चंद्रमा एक ओर वातावरण में नमी लेकर आता है, तो दूसरी ओर मनुष्यों को भी प्रभावित करता है. इसीलिए तिरछे चंद्र को मस्तक पर धारण करके उसकी शोभा बढ़ाने वाले भगवान अशुतोष की पूजा इस मास में अति महत्त्वपूर्ण है.

इस वर्ष सावन में होंगे 4 सोमवार
भगवान में श्रद्धा रखने वाले हर साल सावन में सोमवार के व्रत करते हैं. इस बार सावन (Sawan 2021) में 4 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन 25 जुलाई से शुरू होकर 22 अगस्त को समाप्त हो रहा है. इस दौरान जिन भक्तों को शिव-पार्वती को प्रसन्न करना है वह पूरे विधि-विधान से व्रत और पूजा अर्चना करें. यह श्रावण मास 25 जुलाई यानी की रविवार से ही प्रारम्भ हो रहा है और रविवार को ही समाप्त हो रहा है. ऐसा योग कम ही पड़ता है. वे जातक जिनकी कुंडली में चंद्र नीच का है या पाप ग्रहों से युक्त है, इस योग में उन्हें भी लाभ होता है. इस बार श्रावण में दो बार श्रवण नक्षत्र पड़ रहा है तथा चार सोमवार पड़ रहे हैं. इन चारों सोमवार में यदि प्रत्यक्ष विधान के अनुसार पूजा की जाए, तो रोगों और पारिवारिक क्लेश का नाश होता है. इस श्रावण में सोमवार को इस प्रकार पूजा करने से लाभ होगा.

प्रथम सोमवार : 26 जुलाई को धनिष्ठा नक्षत्र है. शक्कर युक्त दूध से प्रात:काल शिव जी का अभिषेक करें. सायंकाल शिव-पार्वती का पूजन करें.
द्वितीय सोमवार : 2 अगस्त, कृत्तिका नक्षत्र. अनार के रस से शिव जी का अभिषेक करें.
तृतीय सोमवार : 9 अगस्त, आश्लेषा नक्षत्र. शिवजी का दूध से अभिषेक कर चंदन का लेप करे ंऔर शेष चंदन को माथे पर लगाएं।
चतुर्थ सोमवार : 16 अगस्त , अनुराधा नक्षत्र. दूध में शहद मिला कर पीपल के पत्ते का चम्मच बना कर उससे शहद मिश्रित दूध का अभिषेक करें.