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Eco Friendly Temple In India: ये हैं भारत के टॉप 10 इको फ्रेंडली मंदिर, जाते ही स्वस्थ हो जाते हैं भक्त

Eco Friendly Temple In India: ये हैं भारत के चुनिंदा इको-फ्रेंडली मंदिर, जहां जाने से आत्मा और मन दोनों को शांति मिलती है. जाने पूरी सूचि...

Updated on: 17 Mar 2024, 01:29 PM

नई दिल्ली :

Eco Friendly Temple In India: भारत में कई इको-फ्रेंडली मंदिर हैं, जो पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के माध्यम से पूजा की प्रथाओं को अनुकूलित करते हैं. ये मंदिर पर्यावरण संरक्षण, पानी की बचत, पौधे लगाने, प्लास्टिक का प्रयोग रोकने, और प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न उपायों का अनुसरण करते हैं. इन मंदिरों में पूजा की प्रथाएं भी पर्यावरण-मित्रता के सिद्धांतों के अनुसार आयोजित की जाती हैं, जैसे कि प्लास्टिक की प्रतिष्ठा रोक, बर्तन और भोजन के प्रसाद में प्लास्टिक का निष्कर्षण, और पौधे लगाना आदि. ये मंदिर पर्यावरण और धार्मिकता के बीच एक सामंजस्य बनाते हैं, जो समाज में सच्ची परिस्थितिकी जागरूकता और समृद्धि को बढ़ावा देते हैं.

भारत के इको-फ्रेंडली मंदिर:

1. जयपुर का अक्षय पात्र मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसे 2005 में बनाया गया था. मंदिर परिसर में 1000 से अधिक पेड़ हैं और यह सौर ऊर्जा पर चलता है. 

2. पुणे का ग्रीन मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे 2010 में बनाया गया था. मंदिर प्लास्टिक मुक्त है और यहां सभी सामग्री पुनर्नवीनीकरण या प्राकृतिक है.

3. दिल्ली का ISKCON मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसे 1997 में बनाया गया था. मंदिर में वर्षा जल संचयन प्रणाली है और यह जैविक खाद का उपयोग करता है.

4. चेन्नई का Kapaleeshwarar Temple: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे 7वीं शताब्दी में बनाया गया था. मंदिर में एक विशाल बगीचा है और यह सौर ऊर्जा पर चलता है.

5. Bengaluru का ISKCON Temple: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और इसे 1998 में बनाया गया था. मंदिर में वर्षा जल संचयन प्रणाली है और यह जैविक खाद का उपयोग करता है.

6. महाबोधि मंदिर, बोधगया: यह मंदिर सौर ऊर्जा का उपयोग करता है और वर्षा जल संचयन प्रणाली से युक्त है. मंदिर में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. मंदिर में प्रसाद के रूप में केवल सात्विक भोजन परोसा जाता है.

7. श्री दिगंबर जैन मंदिर, खजुराहो: यह मंदिर वर्षा जल संचयन प्रणाली से युक्त है. मंदिर में बिजली का उपयोग कम से कम किया जाता है. मंदिर में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. 

8. अक्षरधाम मंदिर, दिल्ली: यह मंदिर सौर ऊर्जा का उपयोग करता है और वर्षा जल संचयन प्रणाली से युक्त है. मंदिर में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. मंदिर में प्रसाद के रूप में केवल सात्विक भोजन परोसा जाता है.

9. गुरुद्वारा श्री बंगला साहिब, दिल्ली: गुरुद्वारे में प्लास्टिक का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. गुरुद्वारे में सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं. लंगर के रूप में केवल सात्विक भोजन परोसा जाता है. 

10. अयप्पा मंदिर, सबरीमाला: यह मंदिर प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है और श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित करता है कि वे प्लास्टिक की बोतलों के बजाय मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें.

इन मंदिरों  की पर्यावरण-अनुकूल पूजा की प्रथाएं हैं. फूलों की जगह पत्तों और फलों का उपयोग किया जाता है. दीपों के लिए तेल के बजाय घी का उपयोग किया जाता है. प्रसाद को प्राकृतिक सामग्री से बनाया जाता है, जैसे कि फल और दूध. मंदिरों में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ये मंदिर पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने और लोगों को पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. 

प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करते हैं जैसे पूजा में केवल प्राकृतिक सामग्री, जैसे कि फूल, फल, और दीप का उपयोग किया जाता है. पूजा में पानी का कम से कम उपयोग किया जाता है. मंदिरों में बिजली का उपयोग कम से कम होता है. मंदिरों में प्रसाद के रूप में केवल सात्विक भोजन परोसा जाता है.  इन मंदिरों का उद्देश्य न केवल भक्तों को आध्यात्मिक लाभ प्रदान करना है, बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिए भी प्रेरित करना है. इन मंदिरों में पर्यावरण-अनुकूल पूजा के लिए कई प्रथाएं बनाई गई हैं. प्लास्टिक और फूलों के गुलदस्ते का उपयोग नहीं किया जाता. नैसर्गिक सामग्री से बने दीपों का उपयोग किए जाते हैं. वर्षा जल का उपयोग पूजा के लिए करते हैं.  जैविक खाद का उपयोग मंदिर परिसर में पौधों को उगाने के लिए किया जाता है. सौर ऊर्जा का उपयोग मंदिर की बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं. ये मंदिर पर्यावरण को बचाने और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)