चाणक्य नीति : जानिए चाणक्य के अनुसार किन परिस्थितियों में भागने में ही भलाई है
जो अपनी जिंदगी में प्रतिकूल और विपरीत परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करता है उसे ही साहसी कहते हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी परिस्थितियां होती हैं जिनके बीच फंसने पर वहां से बाहर निकलना जरूरी होता है.
दिल्ली :
आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है.
हमें बचपन से ही सिखाया जाता है कि परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करना चाहिए. जो अपनी जिंदगी में प्रतिकूल और विपरीत परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करता है उसे ही साहसी कहते हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी परिस्थितियां होती हैं जिनके बीच फंसने पर वहां से बाहर निकलना जरूरी होता है. अगर इन परिस्थितियों का आप सामना करने की कोशिश करेंगे तो आपकी जान को भी खतरा हो सकता है. कहा जाता है कि कई बार व्यक्ति का मान-सम्मान दांव पर लग जाता है. आचार्य चाणक्य ने ऐसी 4 परिस्थितियों का जिक्र किया है, जिनके बीच फंसने पर वहां से निकलना ही समझदारी होती है. जानिए आचार्य चाणक्य के अनुसार किन परिस्थिति में निकलने में ही भलाई है :
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे
असाधुजनसंपर्के यः पलायति स जीवति।
- चाणक्य कहते हैं कि अगर कहीं हिंसा भड़क जाए या भीड़ एक साथ हमला कर दे तो वहां से बचकर भागने में ही समझदारी होती है. क्योंकि भीड़ बेकाबू होती है और वो कुछ नहीं देखती. ऐसे में वहां से निकलने में ही भलाई होती है.
- नीति शास्त्र के अनुसार, अगर दुश्मन हमला करे, तो वहां से बचकर भागने में ही भलाई होती है. बिना प्लानिंग आप शत्रु का सामना नहीं कर सकते हैं. अगर दुश्मन का सामना बिना प्लानिंग करने की कोशिश करेंगे तो आपकी जान को खतरा हो सकता है.
- चाणक्य कहते हैं कि जहां अकाल पड़ा हो यानी लोग अन्न के लिए तरस जाते हैं. ऐसे स्थान को जल्द से जल्द छोड़ देने में ही भलाई होती है. ऐसे स्थान पर लंबे समय तक रुकना संभव नहीं होता है.
- चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई आपके आसपास अपराधी आकर खड़ा हो, तो स्थान से चले जाना चाहिए. क्योंकि इससे आपके मान-सम्मान पर प्रभाव पड़ेगा.