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आज है सावन मास की शिवरात्रि, जानिए महत्व, पूजन का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं

Updated on: 06 Aug 2021, 07:26 AM

highlights

  • सावन के माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व
  • इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर और माता- पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है
  • भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं

नई दिल्ली:

हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है. सावन के माह में पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. सावन माह की शिवरात्रि आज यानी 6 अगस्त को है. इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर और माता- पार्वती की पूजा- अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और महत्व...

सावन शिवरात्रि मुहूर्त-

सावन मास चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 06 अगस्त, शाम 06 बजकर 28 मिनट से 
सावन मास चतुर्दशी तिथि समाप्त- 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर
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व्रत पारण का समय-

07 अगस्त, दिन शनिवार की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक है.

महत्व-

सावन शिवरात्रि का महत्व बहुत अधिक होता है. इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. आने वाले 25 दिनों तक इन राशियों पर होगी धन- वर्षा, मां लक्ष्मी मेहरबान रहेंगी.

शिवरात्रि पूजा -विधि-

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें.
स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें.
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
अगर संभव है तो व्रत करें.
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें.
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें.
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. 
भगवान शिव को भोग लगाएं. इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
भगवान शिव की आरती करें. 
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं.
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें.

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:20 से सुबह 05:03
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:00 से दोपहर 12:54
विजय मुहूर्त - दोपहर 02:41 से दोपहर 03:34
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:55 से शाम 07:19 
अमृत काल- सुबह 05:42, अगस्त 07 से सुबह 07:25
डॉ0 अरविंद त्रिपाठी 
ज्योतिषाचार्य.