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गुरुवार के व्रत से मिलता है यह लाभ, पढ़िए इसकी पौराणिक कथा

गुरुवार के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और बृहस्पति देव (Brihaspati Dev) की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि गुरुवार के व्रत (Guruvar Fast) करने से विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाती हैं और घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है.

Updated on: 05 May 2021, 07:21 PM

highlights

  • गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है
  • गुरुवार का व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है
  • व्यक्ति पर से गुरु ग्रह का दोष खत्म हो जाता है

नई दिल्ली:

हिंदू धर्म में व्रत (Fast) रखने का एक खास महत्व माना जाता है. वैसे तो कहा जाता है कि उपवास रखना शरीर के लिए भी काफी लाभकारी होता है. लेकिन आम तौर पर लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए व्रत (Fast) रखते हैं. हफ्ते में आने वाले हर एक व्रत का अपना अलग महत्व माना जाता है. जिसमें बृहस्पतिवार के व्रत की काफी मान्यता है. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और बृहस्पति देव (Brihaspati Dev) की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि गुरुवार के व्रत (Guruvar Fast) करने से विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाती हैं और घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है.

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कितने गुरुवार रखें व्रत? 

16 गुरुवार तक लगातार व्रत करने चाहिए और 17वें गुरुवार को उद्यापन करना चाहिए. पुरुष यह व्रत लगातार 16 गुरुवार कर सकते हैं परन्तु महिलाओं या लड़कियों को यह व्रत तभी करना चाहिए जब वो पूजा कर सकती हैं, मुश्किल दिनों में यह व्रत नही करना चाहिए.

कब से करें शुरू? 

पूष या पौष के महीने को छोड़कर आप कभी भी ये व्रत शुरू कर सकते हैं. पौष का महीना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसम्बर या जनवरी में आता है. बाकी इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के पहले गुरुवार से शुरू कर सकते हैं. किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए शुक्ल पक्ष काफी शुभ माना जाता है.

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कैसे करें पूजन?

अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार 7 गुरुवार करना चाहिए. इस दिन प्रात: उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. बृहस्पतिदेव का ध्यान करना चाहिए. इस दिन पीले वस्त्रों, पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए. इसके बाद फल, फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए. प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है लेकिन इन केलों को दान में ही दे देना चाहिए. शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए. भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जा सकता है.

कथा का लाभ  

यह व्रत अत्यंत फलदायी है. गुरुवार को व्रत-उपवास करके यह कथा पढ़ने से बृहस्पति देवता प्रसन्न होते हैं. अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से व्रत आरंभ करके 7 गुरुवार उपवास करने से बृहस्पति ग्रह की हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है. गुरुवार का व्रत पूरे श्रद्धाभाव से करने पर व्यक्ति को गुरु ग्रह का दोष खत्म हो जाता है तथा गुरु कृपा प्राप्त होती है. इन दिन व्रत करने से व्यक्ति को सारे सुखों की प्राप्ति होती है. व्रत करने वाले जातक को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन बाल न कटाएं और ना ही दाढ़ी बनवाएं.