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कोरोना वायरस (Corona Virus) से मरने वालों का केवल दाह संस्‍कार (Cremation) ही होगा, मुस्‍लिम समुदाय (Muslims) में नाराजगी

कोरोना वायरस (Coronavirus) से मौत होने पर शवों का दाह संस्कार (cremation) अनिवार्य करने के लिए कानून में संशोधन करते हुए कहा गया है कि जिसकी भी मौत कोरोना वायरस से होने का संदेह है, उसके शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा.

Updated on: 13 Apr 2020, 08:49 AM

नई दिल्‍ली:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-डब्लूएचओ) ने कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण को रोकने के लिए कुछ गाइडलाइन जारी की है, जिसमें यह भी कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों की मौत पर शवों को आइसोलेशन रूम या किसी क्षेत्र में इधर-उधर ले जाने के लिए एक अभेद्य बॉडी बैग का इस्तेमाल करना होगा और शवों को पूरी तरह से सील करना होगा. ताकी शवों के फ्लूइड्स की लीकेज से बचा जा सके. विश्व स्वास्थ्य संगठन के इसी गाइडलाइन को फॉलो करते हुए श्रीलंका की सरकार (Sri Lanka Government) ने एक कोरोना वायरस से मरने वालों के अंतिम संस्‍कार को लेकर नया राजपत्र जारी किया है, जिससे मुसलमानों में नाराजगी कायम हो गई है.

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श्रीलंका ने कोरोना वायरस (Coronavirus) से मौत होने पर शवों का दाह संस्कार (cremation) अनिवार्य करने के लिए कानून में संशोधन करते हुए कहा है कि जिसकी भी मौत कोरोना वायरस से होने का संदेह है, उसके शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा. वन्नियाराच्ची ने कहा कि मृत शरीर को 800 से 1200 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान पर न्यूनतम 45 मिनट से एक घंटे तक जलाया जाएगा. राजपत्र के अनुसार, शवों का अंतिम संस्कार कब्रिस्तान या अधिकारियों द्वारा अनुमोदित स्थान पर ही किया जाएगा.

श्रीलंका सरकार के इस नए राजपत्र के बाद अब मुस्लिम समुदाय (Muslims) ने नाराजगी दर्ज कराई है. सरकार के स्वास्थ्य मंत्री पवित्रा वन्नियाराच्ची की ओर से जारी राजपत्र में बताया गया है कि मुस्लिम समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बावजूद नए कानून को मंजूरी दे दी गई है. श्रीलंका में कोरोना वायरस से अब तक 200 लोग कोरोना संक्रमित हैं और सात लोगों की मौत हो चुकी है. मृतकों में तीन मुसलमान हैं.

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नए राजपत्र के अनुसार, शव के पास जाने की इजाजत उसी व्यक्ति को मिलेगी, जो शवदाह करने के लिए जरूरी कर्तव्यों को पूरा करेगा. सरकार के इस कदम से अब मुस्लिम समुदाय में विरोध के स्वर तेज हो गए हैं.