Non Veg Prasad In Hindu Temple: सावन का महीना काफी पावन होता है. वहीं हिंदू धर्म में इस महीने में मांस-मदिरा का परहेज किया जाता है. यह माना जाता है कि इस पवित्र महीने में मांस का सेवन करना गलत और धर्म विरुद्ध आचरण है. धर्मों के मुताबिक, मांसाहार को वर्जित किया गया है. वहीं जब भी मंदिर में पूजा या फिर प्रसाद चढ़ाया जाता है तो पूरी पवित्रता के साथ चढ़ाया जाता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां भगवान को जानवरों का मांस और शराब प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है और भक्त इस प्रसाद को श्रद्धा रूप में स्वीकार करते हैं.
कामख्या देवी मंदिर
कामख्या देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है. यह मंदिर दुनियाभर में तंत्र विद्या के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यहां माता के भक्त उन्हें प्रसाद में मांस और मछली चढ़ाते हैं और इसके बाद उसे भक्तों में बांटा जाता है.
काल भैरव मंदिर
काल भैरव मंदिर में शराब का प्रसाद चढ़ाया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस मंदिर में शराब मुख्य प्रसाद है जो बाद में भक्तों द्वारा ग्रहण की जाती है. काल भैरव को तामसिक का देवता माना जाता है.
कालीघाट मंदिर
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर भी ऐसे ही मंदिरों में से एक है, जहां जानवर का मांस चढ़ाया जाता है.यह मंदिर 200 साल पुराना है. यहां भक्त देवी को बकरे की बलि देते हैं, बाद में यही बकरे का मांस प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.
मुनियांदी स्वामी मंदिर
तमिलनाडु के मदुरई में स्थित मुनियांदी स्वामी मंदिर भी अपने मांसाहारी प्रसाद के लिए फेमस है. इस मंदिर में भगवान मुनियांदी को प्रसाद के रूप में चिकन और मटन बिरयानी चढ़ाई जाती है. इसके बाद इसी बिरयानी को प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)