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रावण का मंदिर( Photo Credit : आईएएनएस)
एक तरफ जहां देशभर के लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दशहरा मनाते हुए रावण का पुतला फूंक रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कानपुर के एक मंदिर में इसी दिन लंकापति रावण की पूजा की जाती है. विजयदशमी के दिन कानपुर स्थित मंदिर के बाहर रावण भक्तों की कतार लगती है। करीब डेढ़ सौ साल पुराना यह मंदिर शिवाला क्षेत्र में है. इस मंदिर की खास बात यह है कि यह साल में केवल एक दिन भक्तों के लिए खुलता है. विजयदशमी वाले दिन भगवान राम रावण का वध करते हैं। ठीक उसी दिन यहां पूजा करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं.
भक्तों का मानना है कि भगवान राम ने जब रावण का वध किया था, तब उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को रावण से आशीर्वाद लेने के लिए कहा था, क्योंकि रावण बहुत बड़े ज्ञानी थे. इसके अलावा ग्रेटर नोएडा से लगभग 10 किलोमीटर दूर बसा है रावण का गांव बिसरख. इस गांव में भी न तो रामलीला होती है, और न ही दशहरा के दिन रावण दहन. यहां के निवासी रावण को राक्षस नहीं बल्कि इस गांव का बेटा मानते हैं.
क्यों खास होता है दशहरा
दशहरे के दिन देश में कई जगहों पर ऐतिहासिक राम लीला का आयोजन किया जाता है. रामलीला में कलाकार रामायण के पात्र बनते हैं और राम-रावण के युद्ध को प्रस्तुत करते हैं. दस सिर वाले रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं. अंत में इन पुतलों को जला दिया जाता है. कई जगहों पर इस दिन मेले का आयोजन किया जाता है.
दशहरा का महत्व
दशमी तिथि को ही भगवान राम ने रावण का वध किया था, लिहाजा इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. आज के दौर में समाज में कई तरह की बुलाई फैली हुई है. झूठ, छल, कपट, धोखेबाजी, करप्शन, भ्रष्टाचार, हिंसा, भेद-भाव, द्वेष, यौन शोषण. कई जगहों पर प्रतीकस्वरूप रावण के साथ इनका भी पुतला बनाकर जलाया जाता है, इस उम्मीद में कि समाज से इन बुराइयों का नाश हो सके.
Source : News Nation Bureau