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Diwali Ki Katha( Photo Credit : Social Media)
Diwali Ki Katha: दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की इस कथा को पढ़ने के बाद ही पूजा को संपूर्ण माना जाता है. धन वैभव लक्ष्मी की पूजा अर्चना युगों युगों से होती आ रही है. कहते हैं आर्थिक स्थिति अगर मजबूत करनी है तो माता लक्ष्मी का प्रसन्न करना जरुरी है. हम आपको माता लक्ष्मी और उनकी सहेली की एक पौराणिक कहानी बताने जा रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि आप भी मां लक्ष्मी के दोस्त बन सकते हैं. भक्तों से ज्यादा वो अपने दोस्तों से प्रसन्न होती हैं और धनधान्या से उनका जीवन संपन्न कर देती है. अगर आपने अब तक दिन रात उनकी पूजा की है और आपको अभी तक कोई शुब परिणाम नहीं मिले तो आप ये कहानी पढ़ें इसी कहानी में ऐसा उपाय छिपा है जिससे आप सुख समृद्धि और धन कमा पाएंगे. लक्ष्मी माता की दोस्ती आपको बेड़ा पार कर देगी.
कहते हैं जीवन में अच्छे दोस्त मिल जाएं तो आधी से ज्यादा परेशानियां यूं ही दूर हो जाती है. जीवन की आधी से ज्यादा परेशानियां धन से जुड़ी भी होती है ऐसे में अगर आप माता लक्ष्मी से पक्की दोस्ती कर लेंगे तो आपके घर के भंडार कभी खाली नहीं होंगे. तो आइए जानते हैं माता लक्ष्मी और उनकी सहेली की कहानी.
लक्ष्मी माता की कहानी
पौराणक कथाओं में से एक है देवी लक्ष्मी और उनकी सहेली की कहानी. एक बार की बात है दूर गांव में एक लड़की अपने पिता के साथ रहती थी. वो नियमपूर्वक हर रोज़ पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने जाती थी.
उस लड़की से प्रसन्न देवी लक्ष्मी पीपल के पेड़ से प्रकट होती उससे मिलती. ऐसे ही कुछ दिन गुज़रते चले गए. एक दिन मां लक्ष्मी ने उससे पूछा कि क्या तुम मेरी दोस्त बनोंगी.
लड़की ने सोचा पेड़ से निकलती माता लक्ष्मी भला मेरी सहेली क्यों बनना चाहती हैं. उसके मां लक्ष्मी से कहा कि मैं अपने पिता से पूछकर बताउंगी.
घर जाकर उस लड़की ने अपने पिता को सारी बात बतायी. पिता ने कहा भला कौन मां लक्ष्मी की सहेली नहीं बनना चाहेगा. उनकी कृपा से जीवन में उन्नति और तरक्की के मार्ग खुल जाते हैं.
अगले दिन वो लड़की फिर पीपल पर जल चढ़ाने गयी. देवी प्रकट हुई तो लड़की ने कहा हां मैं तुम्हारी सहेली बनूंगी.
कुछ दिनों बाद माता लक्ष्मी ने अपनी सहेली को अपने घर पर खाने का न्यौता दिया. जब सहेली मां लक्ष्मी के घर पहुंची तो उन्होंने उसे शाल दुशाला ओढ़ने के लिए दिया , रुपये दिये , सोने की चौकी , सोने की थाली में छत्तीस प्रकार का भोजन(व्यंजन) करा दिया.
जब सहले लौटने लगी तो माता लक्ष्मी ने कहा कि तुम भी मुझे अपने घर बुलाना. लड़की ने हां कहा और वो घर चली गई. माता लक्ष्मी की सहेली घर में उदास बैठकर सोच रही थी कि जब वो मेरे घर आएंगी तो मैं क्या करुंगी उसने अपने पिता को ये बात बतायी पिता ने कहा कि गोबर मिट्टी से चौका लगाकर घर की सफाई कर ले, चार मुख वाला दीया जलाकर लक्ष्मीजी का नाम लेकर रसोई में बैठ जाना. लड़की ने ऐसा ही किया तभी अचानक एक चील रानी का नौलखा हार लेकर उड़ रहा था वो उसे लड़की के घर में गिरा दिया.
लड़की ये देखकर प्रसन्न हो गई वो सुनार के यहां गयी और उसने दिल खोल माता लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां की. रसोई बनाने के बाद जब लड़की ने गणेश जी से मां लक्ष्मी को बुलाने का आग्रह किया तो आगे आगे गणेश जी और पीछे पीछे माता लक्ष्मी उसके घर आ गए.
लड़की ने सहेली रुपी माता लक्ष्मी को सोने की चौकी पर बिठाया. देवी मां ये देखकर बहुत प्रसन्न हुई और उसकी खातिर को देखते हुए कहा कि आज कर किसी राजा-रानी ने भी मुझे इस तरह भोजन नहीं करवाया है.
साहूकार की बेटी ने कहा , मैं अभी आ रही हूं, तुम यहीं बैठी रहना और वह चली गई. लक्ष्मीजी गई नहीं और चौकी पर बैठी रहीं. उसको बहुत दौलत दी.
हे लक्ष्मीजी जैसा तुमने साहूकार की बेटी को दिया वैसा सबको देना. कहते सुनते , हुंकारा भरते अपने सारे परिवार को दियो. पीहर में देना , ससुराल में देना. बेटे पोते को देना.
है लक्ष्मी माता ! सबका कष्ट दूर करना , दरिद्रता दूर करना , सबकी मनोकामना पूर्ण करना
ये माता लक्ष्मी की पौराणिक कथा बेहद प्रचलित है. मान्यता है कि दिवाली के दिन इस कथा को पढ़े बिना दिवाली की पूजा अधूरी रह जाती है. इस कथा को पढ़ने के बाद ही भगवान गणेश और माता लक्ष्मी जी की आरती करनी चाहिए.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
Source : News Nation Bureau