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Surya Saptami 2023: जानिए कब है सूर्य सप्तमी, करें इस विधि से पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी की दिनांक 28 जनवरी 2023 को है.

Updated on: 26 Jan 2023, 07:52 PM

नई दिल्ली :

Surya Saptami 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी की दिनांक 28 जनवरी 2023 को है. इस दिन को लोग रथ सप्तमी के नाम से जानते हैं. माना जाता है, कि इस दिन जो महिलाएं व्रत रखती हैं. उनसे सूर्य देवता बेहद प्रसन्न होते हैं और स्त्रियों को रोग मुक्ति, सौभाग्य और सौंदर्य प्रदान करते हैं. इस दिन केवल एक ही पहर में भोजन करना चाहिए. तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख में सूर्य सप्तमी व्रत की पूजा विधि के बारे में बताएंगे, जिससे सूर्य देवता बेहद प्रसन्न होते हैं. 

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सूर्य सप्तमी व्रत के दिन करें इस विधि से पूजा 

1. इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए. 
2. सूर्य देवता को अर्घ्य देने के दौरान सूर्य मंत्र या फिर गायत्री मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. 
ॐ हूं सूर्याय नम:
3. इसके बाद नदी किनारे सूर्य की अष्टदली मूर्ति बनाएं और साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति स्थापित करें. 
4. इस दिन पूजा करने के बाद ब्राह्मणों को दान जरूर दें. 
5.उसके बाद पूजा के बाद शिव और पार्वती का विसर्जन कर उन्हें घर ले आएं. 

सूर्य देव की इस तरह करें आरती 

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।