Sri Krishna Janmashtami 2018: कान्हा के इन तीन रूपों को देखे बिना अधूरा है कृष्ण दर्शन
वृंदावन में कृष्ण के इन तीनों रूपों की प्रतिकृति यानि रेप्लिका रखी गई और जयपुर के अलग-अलग मंदिरों में कृष्ण के तीनों रूपों की स्थापना की गई।
नई दिल्ली:
कहा जाता है कि कृष्ण के तीन स्वरुप का दर्शन करने पर कृष्ण का संपूर्ण दर्शन प्राप्त होता है। आखिर कौन सा है कृष्ण का ये तीन स्वरुप। किसने किया था कृष्ण का ये रूप साकार आखिर कैसे दिखते थे कृष्ण। हर मूर्तिकार ने कान्हा को एक नया रूप एक नया आकार दिया, लेकिन सवाल उठता है कि आख़िर कान्हा दिखते कैसे थे आख़िर किसने खींची कृष्ण की रूपरेखा।
पुराण के मुताबिक कृष्ण का असली रूप दुनिया के सामने उनके परपोते वज्रनाभ ने रखा था। वज्रनाभ ने कान्हा के तीन विग्रह बनाए पहले विग्रह का चरण, कृष्ण के चरण के समान है जिसका नाम है मदनमोहन रखा गया।
दूसरे विग्रह का वक्षस्थल, कृष्ण से मिलता है और दूसरे विग्रह का नाम है गोपीनाथ । तीसरे विग्रह का चेहरा, कृष्ण के चेहरे से मिलता है और तीसरे विग्रह का नाम है श्री गोविंद देव।
आज की तारीख में श्री गोविंद देव जी की मूर्ति जयपुर के कनक वृंदावन में रखी गईहै। गोपीनाथ जी की मूर्ति जयपुर के पुरानी बस्ती में है और तीसरा विग्रह मदनमोहन जी का करौली में है।
मान्यता है कि इन तीनों स्वरूपों को देखने के बाद ही कृष्ण के पूर्ण दर्शन माना जाता है।
बताया जाता है कि वज्रनाभ ने इन तीनों मूर्तियों को वृंदावन में स्थापित कराया और बाद में राजा मानसिंह ने मूर्तियों को विशाल मंदिर में स्थापित करवाया। इस तरह से कृष्ण के इन तीनों रूपों की पूजा होने लगी।
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बताया जाता है कि बाद के सालों में संतों ने इन तीनों मूर्तियों को वृंदावन के तीन अलग अलग मंदिरों में स्थापित किया और जब औरंगजेब ने इन मंदिरों को गिराने का आदेश दिया तब जयपुर के राजा सवाई जयसिंह तीनों मूर्तियों को जयपुर ले आए।
वृंदावन में कृष्ण के इन तीनों रूपों की प्रतिकृति यानि रेप्लिका रखी गई और जयपुर के अलग-अलग मंदिरों में कृष्ण के तीनों रूपों की स्थापना की गई।
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