Somvati Amavasya Vrat Katha: ये है सोमवती अमावस्या की व्रत कथा, पढ़ने या सुनने वाले को मिलता है अखंड सौभाग्य

Somvati Amavasya Vrat Katha: सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. हिंदू धर्म (hindu dharm) में इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है. सोमवती अमावस्या व्रत कथा क्या है आइए जानते हैं.

Somvati Amavasya Vrat Katha: सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. हिंदू धर्म (hindu dharm) में इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है. सोमवती अमावस्या व्रत कथा क्या है आइए जानते हैं.

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Inna Khosla
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Somvati Amavasya Vrat Katha

Somvati Amavasya Vrat Katha Photograph: (News Nation)

Somvati Amavasya Vrat Katha: हर साल आने वाली सोमवती अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. इस बार पौष माह की अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ी है, जो साल 2024 का आखिरी सोमवार भी है. ऐसे में अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं या बिना व्रत रखे सिर्फ सोमवती अमावस्या व्रत की कथा पढ़ या सुन रहे हैं, तो माना जाता है कि इससे अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है. इस व्रत क्या महत्व है और सोमवती अमावस्या व्रत की पूजा के नियम क्या हैं आइए सब जानते हैं. 

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सोमवती अमावस्या व्रत कथा (Somvati Amavasya Vrat Katha)

एक ब्राह्मण परिवार में एक साध्वी स्त्री अपने पति के साथ रहती थी. उनकी एक पुत्री थी, जो सुंदर, गुणवान और संस्कारी थी. हालांकि, उनकी बेटी के विवाह में बाधाएं आ रही थीं, और योग्य वर नहीं मिल रहा था. ब्राह्मण दंपति इस समस्या से बहुत परेशान थे.

एक दिन एक ऋषि उनके घर आए. ब्राह्मण दंपति ने उनका आदर-सत्कार किया और अपनी समस्या बताई. ऋषि ने कुंडली देखकर कहा कि उनकी बेटी के विवाह में कुछ ग्रह दोष हैं. उन्होंने बताया कि अगर उनकी बेटी सोमवती अमावस्या (somvati amavasya) के दिन व्रत रखे और पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करे तो विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाएंगी. ऋषि की सलाह पर ब्राह्मण दंपति ने अपनी बेटी से सोमवती अमावस्या का व्रत करवाया.

बेटी ने प्रातः काल गंगा नदी में स्नान किया. पीपल के वृक्ष पर कच्चा दूध, जल, हल्दी और रोली अर्पित की. पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करते हुए धागा बांधा और हर परिक्रमा के साथ ॐ नमः शिवाय का जाप किया. इस व्रत के प्रभाव से ग्रह दोष शांत हुए और कुछ समय बाद उनकी बेटी का विवाह एक योग्य वर से हो गया.

सोमवती अमावस्या व्रत का महत्व (Importance of Somvati Amavasya fast)

विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं. कुंवारी कन्याओं को भी ये व्रत रखना चाहिए. इससे विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और पितरों के नाम पर दान करने से पितृ दोष समाप्त होता है. 

सोमवती अमावस्या के दिन पूजा के नियम (Rules for worship on Somvati Amavasya)

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा, यमुना, या किसी पवित्र नदी में स्नान करें. पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और वहां दीप जलाएं. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और दान-दक्षिणा दें. सोमवती अमावस्या व्रत और कथा (somvati amavasya vrat katha) अगर सच्चे मन और श्रद्धा से किया जाए तो जीवन की बड़ी से बड़ी समस्या को दूर किया जा सकता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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