शास्त्रों में सोम प्रदोष व्रत का है खास महत्व, मनचाहा जीवनसाथी से लेकर पूर्ण होती है ये इच्छाएं
प्रदोष व्रत हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. किसी भी प्रदोष व्रत में शाम सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा की जाती है.
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म में हर महिने ऐसे तमाम तीज-त्यौहार होते है, जिसके पीछ कई धार्मिक महत्व और मान्यताएं मौजूद होती है. इसी को देखते हुए आज हम आपको प्रदोष व्रत के बारें में बताने जा रहे हैं, जिसका शास्त्रों में इच्छाओं को पूर्ण करने वाला और शक्तिशाली व्रत कहा गया है. प्रदोष व्रत हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है. किसी भी प्रदोष व्रत में शाम सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक भगवान शिव की पूजा की जाती है. सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने से चन्द्रमा आपको विशेष फल देता है. इसे करने से आपकी सारी मन्नतें जल्द पूरी होती है.
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प्रदोष व्रत करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान
1. प्रातकाल: (सुबह के समय) उठकर गुलाबी या हल्के लाल रंग के कपड़े पहनें.
2. चांदी या तांबे के बर्तन से शुद्ध शहद भगवान शिव के शिवलिंग पर अर्पित करें.
3. इसके बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
4. 108 बार सर्वसिद्धि प्रदाये नमः मंत्र का जाप करें.
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सोम प्रदोष व्रत करने से मिलेगा ये लाभ
- जमीन जायदाद की समस्या से जल्द छुटकारा मिल सकता है.
- इस व्रत को करने से मनचाहा वर-वधू की प्राप्ति हो सकती है.
- धन की कमी से मुक्ति मिल सकती है.
- इस व्रत को करने से हर तरह के रोग दूर हो जाते हैं.
- सोम प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त की जा सकती है.
- सोम प्रदोष करने से वैवाहिक जीवन में आ रही सारी दिक्कतें दूर हो जाती है.
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