logo-image

Skanda Sashti 2022: आज स्कंद षष्ठी के दिन करें इस विधि से पूजा,सभी कष्टों से मिलेगा छुटकारा

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखने का विशेष महत्व है

Updated on: 28 Dec 2022, 07:32 AM

नई दिल्ली :

Skanda Sashti 2022 : हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखने का विशेष महत्व है. ये दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित दिन है. इस दिन जो व्यक्ति भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करता है, उनके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इसके अलावा इस दिन माता अपनी संतान की सलामती के लिए व्रत रखती है. तो आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है, इस दिन किस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है. 

स्कंद षष्ठी व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?
पौष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का शुभ मुहूर्त आज दिनांक 28 दिसंबर 2022 को शाम 08:45 मिनट तक रहेगा. आज आप 08:45 से पहले कभी भी भगवान कार्तिकेय की पूजा कर सकते हैं. 

स्कंद षष्ठी की पूजा विधि क्या है?
सबसे पहले स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें. उसके बाद भगवान कार्तिकेय का ध्यान रखते हुए व्रत रखें. वहीं पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अवश्य करें. उसके बाद भगवान कार्तिकेय को फूल, फल, मेवा, सिंदूर, अक्षत,सिंदूर चढ़ाएं और भगवान कार्तिकेय के सामने घी की दीपक जलाएं.

स्कंद षष्ठी व्रत महत्व 

इस दिन जो व्यक्ति भगवान कार्तिकेय की विधिवत पूजा करता है और सच्चे मन से उनकी उपासना करता है. उनके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. इसके अलावा इस दिन संतान की सलामती के लिए व्रत रखी जाती है. 

ये भी पढ़ें-Shoes Vastu Shastra 2022 : क्या आप भी रखते हैं इस दिशा में जूता-चप्पल, तो कंगाली को दे रहे हैं न्योता

इस मंत्र का करें 108 बार जाप 

देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव.
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात:।

भगवान कार्तिकेय आरती 

जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा

जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम

जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर

जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि

महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी

जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता

जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश

जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय ||