Significance of Aai Budo Bhat in Bengali Wedding: आखरी भोजन कहलाती है 'आई बूढ़ों भात' की रस्म, जानें इससे जुड़े दिलचस्प नियम
Significance of Aai Budo Bhat in Bengali Wedding: बंगाल के पर्व-त्योहार से लेकर शादी-विवाह सभी भव्य तरीके से संपन्न होते हैं. बंगाली शादियों में शादी के पहले और शादी के बाद भी कई रीति-रिवाज होते हैं. इन्ही में एक है 'आई बूढ़ों भात' की रस्म.
नई दिल्ली :
Significance of Aai Budo Bhat in Bengali Wedding: विविधताओं से भरे देश भारत में कई धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. भारत में अनेक धर्म और भाषाओं के साथ ही कई रीति-रिवाज और परंपराएं भी मौजूद हैं. बात करें शादियों की तो भारत में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक शादियों से जुड़े अलग-अलग नियम, परंपरा, रीति-रिवाज और महत्व देखने को मिलते हैं. सभी शादियों से जुड़े नियम और रीति-रिवाज बेहद खूबसूरत होते हैं और सभी से जुड़ी मान्यताएं भी होती हैं. बंगाल के पर्व-त्योहार से लेकर शादी-विवाह सभी भव्य तरीके से संपन्न होते हैं. बंगाली शादियों में शादी के पहले और शादी के बाद भी कई रीति-रिवाज होते हैं. इन्ही में एक है 'आई बूढ़ों भात' की रस्म. आई बूढ़ों भात शादी से पहले की एक रस्म होती है.
क्या है आई बूढ़ों भात
आई बूढ़ों भात शादी से पहले यानी प्री वेडिंग रस्म होती है. जोकि शादी से एक रात पहले होती है. आई बूढ़ों भात में होने वाली दुल्हन अपने मायके में कुंवारी कन्या के रूप में आखिरी बार भोजन करती है. इसके बाद वह शादी के बाद अपने पति के साथ आती है और फिर पति-पत्नी साथ भोजन करते हैं.
आई बूढ़ों भात की रस्म में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. इसमें शाकाहारी और मांसाहारी भोजन शामिल होते हैं. इस मौके पर परिवार के करीबी लोग और खास दोस्त भी शामिल होते हैं और सभी नाचते-गाते हुए इसका जश्न मनाते हैं.
क्या है आई बूढ़ों भात रस्म का महत्व
बंगाली शादियों में यह रस्म एक लड़की के लिए काफी भावपूर्ण भी होता है क्योंकि जिस लड़की ने अपने माता-पिता के घर बेटी के रूप में कई साल बिताए, वह आई बूढ़ों भात की रस्म के दौरान अंतिम भोजन करती है.
इसके बाद वह अपने पीहर आती तो है, लेकिन कुंवारी कन्या रूप में यह उसका अंतिम भोजन होता है. इस दौरान होने वाली दुल्हन नए कपड़े पहनती है और उसे सगे-संबंधियों से कई तोहफे भी मिलते हैं.
बंगाली शादियों के रीति-रिवाज
बंगाली शादियों में प्री और पोस्ट यानी शादी से पहले और शादी के बाद भी कई रस्में होती हैं. इनमें आई बुढ़ों भात रस्म से लेकर आशीर्वाद रस्म, गाए होलुद तत्वा, आदान-प्रदान रस्म, दोधी मंगोल रस्म, चड़नाटोला रस्म, वृद्धि रस्म, शुभोद्रष्टि (जब दूल्हा-दुल्हन चेहरे से पान का पत्ता हटाते हैं), बौ बरन, काल रात्रि, बौ भात जैसी रस्में होती हैं.
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