Shiv Tandav Stotram: रावण ने रचा था ऐसा पाठ जिसे सुन भगवान शिव भी कृपा बरसाने को हो गए थे मजबूर
Sawan 2023: आज सावन का सोमवार है और अधिकमास की शिवरात्रि का शुभ संयोग भी ऐसे में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ आपके लिए कितना लाभदायक हो सकता है आइए जानते हैं.
नई दिल्ली:
Shiv Tandav Stotram: आज सावन का सोमवार है और अधिकमास की शिवरात्रि भी ऐसे में आपको भगवान शिव की कृपा बरसाने वाले उस पाठ के बारे में बताते हैं जिसे रावण ने रचा था. ये पाठ इतना शक्तिशाली है कि इसे सुनकर भगवान शिव अपनी कृपा भक्त पर बरसाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. ये तो सब जानते हैं कि रावण भोले बाबा का कितना बड़ा भक्त था. उससे ज्यादा विद्वान पंडित पूरे ब्रह्माण में नहीं था लेकिन उसकी कुछ भूल की वजह से आज उसे गलत माना जाता है. लेकिन भगवान शिव के इस परम भक्त ने शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी.
शिव तांडव स्तोत्र क्या है?
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव की महिमा और महत्व की प्रशंसा करने वाला एक प्रमुख हिंदू पाठ है. इसमें भगवान शिव के महात्म्य का वर्णन किया गया है और उनके महाकाली रूप की पूजा की गई है. इस स्तोत्र में उनके भयंकर और विनाशकारी रूप का भी वर्णन होता है. यह स्तोत्र भगवान शिव के उपासकों द्वारा प्रार्थना और भक्ति का अभिवादन करने के लिए प्रयुक्त होता है. अलंकारों से भरी ये छंदात्मक स्तुति रावण द्वारा सबसे पहले की गई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार रावण जब कैलाश पर्वत को उठाकर ले जाने लगे तो उस समय भगवान शिव ने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत पर ऐसा दबाव बनाया कि रावण भी इसमें दब गया. उस समय उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जो स्तुति की उसे शिव तांडव स्तुति कहा गया. कहते हैं इस रचना में इतनी ताकत है कि ये भगवान शिव के क्रोध को भी शांत कर दे और उन्हें प्रसन्न करे मनचाह वरदान पा ले.
शिव तांडव स्त्रोत सुनने से क्या होता है?
दिमाग और मन को शक्तिशाली बनाने के लिए शिव तांडव स्त्रोत की स्तुति की जाती है. लेकिन ये सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं महिलाओं को ये स्तुति कनरे की मनाही है. इससे आत्मविश्वास बढ़ता है. चेहरे पर तेज आता है समाज में आपका मान सम्मान भी बढ़ता है.
कब और कैसे करें शिव तांडव स्त्रोत का पाठ
कहते हैं ऊपरी चक्कर हो, तंत्र-मंत्र बाधाएं हों, स्वास्थ्य खराब हो, धन हानि हो रही हो, शत्रुओं का खतरा सता रहा हो, या नौकरी और व्यवसाय की दिक्कत हो तो उस समस्या को दूर करने के लिए सुबह या प्रदोष काल में शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना उचित माना गया है. मान्यता है कि नृत्य के साथ अगर आप इस स्त्रोत का पाठ करते हैं तो इससे आपको सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है.
सावन के पावन महीने में जो भी शिव भक्त इस पाठ का गुनगान करने है या नियमित ये पाठ पढ़ता है उसे इससे विशेष लाभ मिलते हैं. भगवान शिव को भोले भंडारी भी कहा जाता है. उन्हें प्रसन्न करना इतना मुश्किल नहीं है. बस आप सच्चे दिल से उनका नाम पुकारो वो आपकी मनोकामना अपने आप ही सुन लेते हैं.
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